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गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । तं. - बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पतरस्स असंखेज्जइ भागो । तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अनंता, अणंताहिं उस्सप्पिणि- ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, सेसं जहा ओरालियम्स मुक्केल्लया तहा एते वि भाणियव्वा ।
४१४. (प्र.) भगवन् ! वैक्रियशरीर कितने प्रकार के हैं ?
(उ.) गौतम ! वे दो प्रकार के कहे हैं । यथा - बद्ध और मुक्त। उनमें जो बद्ध हैं, वे असंख्यात हैं और काल की दृष्टि से असंख्यात उत्सर्पिणियों - अवसर्पिणियों द्वारा अपहृत होते है। क्षेत्र की दृष्टि से वे प्रतर के असख्यातवें भाग में होने वाली असख्यात श्रेणियो के आकाशप्रदेश जितने होते हैं । मुक्त वैक्रियशरीर अनन्त है । कालतः वे अनन्त उत्सर्पिणियोंअवसर्पिणियों द्वारा अपहृत होते है। शेष कथन मुक्त औदारिकशरीरों के समान जानना चाहिए ।
NUMBER OF VAIKRIYA SHARIRAS
414. (Q.) Bhante ! Of how many kinds are vakriya shariras (transmutable bodies) ?
(Ans.) Gautam ! Vaikriya shariras (transmutable bodies) are of two kinds—- Baddh (bound with soul) and Mukta (abandoned by soul). Of these, the baddh vaikriya shariras (bound transmutable bodies) are innumerable (Their number) in terms of time (is such that) it takes innumerable utsarpini-avasarpını (progressive-regressive cycles of time) to remove them (if stored in a silo.....—as mentioned in aphorism 370 ); and in terms of area they are equivalent to the number of space-points in innumerable Shrenis in the uncountable fraction of a pratar (see aphorism 356-357). Of these, the mukta (abandoned) Vaikriya shariras are infinite. (Their number) in terms of time (is such that ) it takes infinite utsarpini-avasarpini (progressive-regressive cycles of time) to remove them (if stored in a silo). Other details are same as in case of mukta audarik shariras (abandoned gross physical bodies)
शरीर प्रकरण
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The Discussion on Body
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