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POS 403. (Q.) Bhante ! Are these (skandh and others) countable,
innumerable or infinite ? ___(Ans.) Gautam ! These (shandh and others) are neither countable nor innumerable but infinite.
(Q.) Bhante ! Why it is said that these (skandh and others) are neither countable nor innumerable but infinite ? ___(Ans.) Gautam | Paramanu-pudgala (ultimate-particles) are infinite, aggregates of two space-points are infinite and so on, aggregates of infinite space-points are infinite. Therefore, Gautam ! It is said that these (skandh etc.) are neither countable nor innumerable but infinite जीवद्रव्यप्ररूपण
४०४. जीवदव्या णं भंते ! किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ? गो. ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। से केपट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ जीवदव्या णं नो संखेज्जा नो असंखेज्जा; अणंता ?
गोयमा ! असंखेज्जा णेरइया, असंखेज्जा असुरकुमारा जाव असंखेज्जा थणियकुमारा, असंखेज्जा पुढवीकाइया जाव असंखेज्जा वाउकाइया, अणंता वणस्सइकाइया, असंखेज्जा बेंदिया जाव असंखेज्जा चउरिंदिया, असंखेज्जा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेज्जा मणूसा, असंखेज्जा वाणमंतरिया, असंखेज्जा जोइसिया, असंखेज्जा वेमाणिया, अणंता सिद्धा, से एएणं अटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जीवदव्वा णं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता।
॥ आयु ठिति त्ति पयं सम्मत्तं ॥ ४०४. (प्र.) क्या जीवद्रव्य सख्यात हैं, असंख्यात है अथवा अनन्त हैं ? (उ.) गौतम | जीवद्रव्य सख्यात नहीं है, असंख्यात नही हैं किन्तु अनन्त है।
(प्र.) भगन् ! किस कारण ऐसा कहा जाता है कि जीवद्रव्य संख्यात नहीं, असख्यात से नही किन्तु अनन्त हैं।
(उ.) गौतम ! अनन्त कहने का कारण यह है-असख्यात नारक हैं, असख्यात असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार देव हैं, असंख्यात पृथ्वीकायिक जीव है यावत् असख्यात
a आयुस्थिति-प्रकरण
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The Discussion on Life-Span
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