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(गुरु) संख्येय पक्ष्मों (सूक्ष्म रेशों-धागों) के समुदय, समिति और समागम से एक तन्तु निर्मित होता है, ऊपर का पक्ष्म-रेशा छिन्न हुए बिना नीचे का पक्ष्म छिन्न नहीं होता। ऊपर का पक्ष्म दूसरे समय में छिन्न होता है और नीचे का दूसरे (भिन्न) समय में, इसलिए वह समय नही होता। ___ गुरु से शिष्य ने पुनः प्रश्न किया
जितने समय में उस तुनवाय पुत्र ने उस तन्तु के ऊपर वाले पक्ष्म को छिन्न किया, क्या उतने काल को समय कहा जाये ? ___ (गुरु) नहीं ! उतना काल समय नहीं है।
(गुरु) क्यों? __(गुरु) कारण यह है कि अनन्त संघातों के समुदय, समिति और समागम से एक पक्ष्म निर्मित होता है, ऊपर का संघात जब तक नहीं बिखरता तब तक नीचे का संघात भी नहीं
बिखरता। ऊपर का संघात दूसरे समय में बिखरता है और नीचे का दूसरे (भिन्न) समय * में, इसलिए वह समय नहीं होता। हे आयुष्मान् श्रमण ! समय इससे भी सूक्ष्मतर होता है।
विवेचन-सामान्य व्यवहार मे हम जिसे सेकण्ड, मिनट, घण्टा, दिन-रात, महीना आदि काल कहते है, वास्तव में यह तो काल की स्थूल इकाईयाँ है। काल तो वह सूक्ष्म किन्तु व्यापक सत्ता है जिसके निमित्त से सभी द्रव्य वस्तुओ का परिणमन (परिवर्तन) सूक्ष्मतम स्तर पर अभिव्यक्त होता है। उसी परिणमन अथवा परिवर्तन के आधार पर ही काल का मापदण्ड स्थिर होता है। काल का सबसे सूक्ष्म या छोटा अश समय है। जैसे परमाणु अविभाज्य है, वैसे ही समय भी अविभाज्य है।
जैन आचार्यों ने समय की परिभाषा करते हुए बताया है-उत्कृष्ट गति से एक परमाणु सटे हुए द्वितीय परमाणु तक जितने काल मे जाता है, उस सूक्ष्म काल को समय कहते है। हम जिस सूक्ष्म से सूक्ष्म काल को पहचानते है, वह असख्यात समयो का संघात है। सूत्र मे तुन्नवाय (जुलाहे) के उदाहरण द्वारा अत्यन्त शीघ्रतापूर्वक वस्त्र छेदन का जो उदाहरण दिया है, वह स्थूल समय की पहचान है। इसलिए कहा है-"एत्तो वि सुहुम तराए समए।"-समय तो इससे भी अधिक सूक्ष्मतर होता है। पलक झपकने मात्र मे असख्यात समय बीत जाते है। आज के विज्ञान के अत्यन्त सूक्ष्म यत्र भी समय के उस सूक्ष्म अश को जानने में अब तक समर्थ नहीं हुए है। असख्यात समयो से बनने वाली आवलिका आदि समय के विभागो का वर्णन अगले सूत्र मे किया गया है। SAMAYA
366. (Q.) What is this Samaya (ultimate fractional unit of time)? (Ans.) I will define Samaya (ultimate fractional unit of time) e
कालप्रमाण-प्रकरण
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The Discussion on Kaal Pramana
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