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३७४. (प्र.) सूक्ष्म उद्धारपल्योपम क्या है ? (उ.) सूक्ष्म उद्धारपल्योपम का स्वरूप इस प्रकार है
धान्य के पल्य के समान कोई एक योजन लम्बा, एक योजन चौडा और एक योजन गहरा एवं कुछ अधिक तीन योजन की परिधि वाला पल्य हो। इस पल्य को एक, दो, तीन यावत् उत्कृष्ट सात दिन तक के उगे हुए बालारों से खूब ठसाठस भरा जाये और उन एकएक बालाग्र के (कल्पना से) ऐसे असख्यात-असंख्यात खण्ड किये जाये जो निर्मल चक्षु से देखने योग्य पदार्थ की अपेक्षा भी असंख्यातवे भाग प्रमाण हो और सूक्ष्म पनक जीव की शरीरावगाहना से असख्यात गुणे हों, जिन्हे अग्नि जला न सके, वायु उडा न सके, जो सड-गल न सके, नष्ट न हो सके और न दुर्गन्धित हो सके। फिर समय-समय मे उन बालाग्र खण्डों को निकालते-निकालते जितने काल मे वह पल्य बालाग्रों की रज से रहित, बालाग्रो के संश्लेष से रहित और पूरी तरह खाली हो जाये, उतने काल को सूक्ष्म उद्धारपल्योपम कहते है।
इस दस कोटाकोटि सूक्ष्म उद्धारपल्योपमों का एक सूक्ष्म उद्धार सागरोपम होता है ॥३॥ SUKSHMA UDDHAR PALYOPAM
374. (Q.) What is this Sukshma Uddhar Palyopam? (Ans.) Sukshma Uddhar Palyopam is described as follows
For example there is a silo one yojan long, one yojan wide, one yojan deep and with a circumference of a little more than three yojans. That silo is filled to the brim with hair-tips grown in one day, two days, three days, up to a maximum of seven days (after shaving the head). The hair are tightly packed into a solid mass Now imagine one balagra (hair-tip) to have been cut into innumerable minute pieces that are equivalent to an innumerable fraction of the most minute visible particle and innumerable times the area occupied by a single being of the minute mildew class And these pieces of hair-tips cannot be burnt by fire or swept by air and are neither decayed, destroyed or putrefied Now, Sukshma Uddhar Palyopam is the total time taken in completely emptying this silo by taking out one such piece of hair-tip at a time every Samaya and sweeping it clean and free from any sand particles, slime and even odour. सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
ॐ
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