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380. (Q.) What is the purpose of these Vyavaharık Addha Palyopam and Sagaropam ?
(Ans.) No purpose is served by these Vyavaharık Addha Palyopam and Sagaropam. They have just been mentioned as abstract theoretical presentation.
This concludes the description of Vyavaharık Addha Palyopam सूक्ष्म अद्धापल्योपम
३८१. से किं तं सुहुमे अद्धापलिओवमे ?
सुहुमे अद्धापलिओवमे से जहानामए पल्ले सिया-जोयणं आयाम-विक्खंभेणं, जोयणं उढं उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं; से णं पल्ले एगाहिय-बेयाहिय-- तेहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं। तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेज्जाइं खंडाई कज्जति। ते णं वालग्गा दिट्ठीओगाहणाओ असंखेजति भागमेत्ता सुहुमस्स पणगजीवस्स
सरीरोगाहणाओ असंखेज्जगुणा। ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेज्जा, नो वाऊ हरेज्जा, नो * कुच्छेज्जा, नो पलिविद्धंसेज्जा, नो पूइत्ताए हब्बमागच्छेज्जा। ततो णं वाससते वाससते
गते एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्ठिए भवति, से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे।
एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया।
तं सुहुमस्स अद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं॥५॥ ___ ३८१. (प्र.) सूक्ष्म अद्धापल्योपम क्या है ?
(उ.) सूक्ष्म अद्धापल्योपम इस प्रकार है-एक योजन लम्बा, एक योजन चौडा, एक योजन ऊँचा एव साधिक (कुछ न्यून षष्ठ भाग अधिक) तीन योजन की परिधि वाला एक पल्य हो। उस पल्य को एक, दो, तीन दिन के यावत् करोडो बालानों से पूरी तरह भर दिया जाये। फिर उनमे से एक-एक बालाग्र के ऐसे असख्यात-असख्यात खण्ड किये जाये कि वे खण्ड दृष्टि के विषय मे आने वाले पुद्गलो की अपेक्षा असंख्यात भाग मात्र हों और सूक्ष्म पनक जीव की शरीरावगाहना से असंख्यात गुणा अधिक हो। वे बालाग्र अग्नि से जल न सकें, वायु उन्हें उड़ा न सके, वे सड-गल न सकें, उनका विध्वंस भी न हो सके
और उनमे दुर्गन्ध भी उत्पन्न न हो सके। उन खण्डों में से सौ-सौ वर्ष के पश्चात् एकसचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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