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उत्सेधांगुल का स्वरूप
३४४. अणंताणं वावहारियपरमाणुपोग्गलाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हिया ति वा, सहसण्हिया ति वा उड्डरेणू ति वा तसरेणू ति वा रहरेणू ति वा। ___ अट्ट उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सहसण्हिया। अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा उडरेणू। अट्ठ उड्डरेणूओ सा एगा तसरेणू। अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू। अट्ठ रहरेणु देवकुरु-उत्तरकुरुयाणं मणुयाणं से एगे वालग्गे। अट्ठ देवकुरु-उत्तरकुरुयाणं मणुयाणं वालग्गा हरिवास-रम्मगवासाणं मणुयाणं से एगे वालग्गे। अट्ट हरिवस्स-रम्मयवासाणं मणुस्साणं वालग्गा हेमवय-हेरण्णवयवासाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे। अट्ट हेमवयहेरण्णवयवासाणं मणुस्साणं वालग्गा पुव्वविदेह-अवरविदेहाणं मणुस्साणं ते एगे वालग्गे। अट्ठ पुष्वविदेह-अवरविदेहाणं मणूसाणं वालग्गा भरहेरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे। अट्ट भरहेरवयाणं मणूसाणं वालग्गा सा एगा लिक्खा। अट्ट लिक्खाओ सा एगा जूया। अट्ठ जूयाओ से एगे जवमज्झे। अट्ठ जवमझे से एगे उस्सेहंगुले।
३४४. उन अनन्तानन्त व्यावहारिक परमाणुओं के समुदाय (समूह), समिति (मिलन), समागम और (संयोग) (समुदाय के एकत्र होने) से एक उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका, श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका, ऊर्ध्वरेणु, त्रसरेणु और रथरेणु उत्पन्न होता है। (जो इस प्रकार है-) ___ आठ उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका की एक श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका, आठ श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका का. एक ऊर्ध्वरेणु, आठ ऊर्ध्वरेणुओ का एक त्रसरेणु, आठ त्रसरेणुओं का एक रथरेणु, आठ रथरेणुओं का एक देवकुरु-उत्तरकुरु के मनुष्यों का बालाग्र (बाल का अग्र भाग), देवकुरुउत्तरकुरु के मनुष्यों के आठ बालाग्रो का एक हरिवर्ष-रम्यक्वर्ष के मनुष्यों का बालाग्र, हरिवर्ष-रम्यवर्ष के मनुष्यों के आठ बालाग्रो के बराबर हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्र के मनुष्यों का एक बालाग्र, हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्र के मनुष्यों के आठ बालागों के बराबर पूर्व महाविदेह और अपर महाविदेह के मनुष्यों का एक बालाग्र, पूर्वविदेहअपरविदेह के मनुष्यों के आठ बालानों के बराबर भरत-ऐरवत क्षेत्र के मनुष्यों का एक बालान, भरत और ऐरवत क्षेत्र के मनुष्यों के आठ बालागों की एक लिक्षा (लीख), आठ लिक्षाओं की एक नँ, आठ जुओं का एक यवमध्य और आठ यवमध्यों का एक उत्सेधागुल होता है।
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सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Hlustrated Anuyogadvar Sutra-2
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