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TE Panchendriya Tıryanchyonik (fully developed aerial five-sensed en animal born out of womb) ?
___ (Ans.) Gautam ! The minimum avagahana (space occupied) by the body of a Paryapt Garbhavyutkrantık Khechar Panchendriya Tiryanchyonik (fully developed aerial five-sensed animal born out
of womb) is innumerable fraction of an angul and the maximum is a dhanush prathakatva (two to nine dhanush). (७) एत्थ संगहणिगाहाओ भवंति। तं जहा
जोयणसहस्स गाउयपुहत्त तत्तो य जोयणपुहत्तं। दोण्हं तु धणुपुहत्तं सम्मुच्छिम होइ उच्चत्तं ॥१॥ जोयणसहस्स छग्गाउयाइं तत्तो य जोयणसहस्सं।
गाउयपुहत्त भुयगे पक्खीसु भवे धणुपुहत्तं ॥२॥ (७) उक्त समग्र कथन की संग्राहक गाथाएँ इस प्रकार हैं
समूर्छिम जलचरतिर्यंचपंचेन्द्रिय जीवों की उत्कृष्ट अवगाहना एक हजार योजन, चतुष्पदस्थलचर की गव्यूतपृथक्त्व, उरपरिसर्पस्थलचर की योजनपृथक्त्व, भुजपरिसर्पस्थलचर की एवं खेचरतिर्यचपंचेन्द्रिय की धनुषपृथक्त्व प्रमाण है ॥१॥ ___ गर्भज तिर्यंचपंचेन्द्रिय जीवों में से जलचरों की एक हजार योजन, चतुष्पदस्थलचरों की छह गव्यूत, उरपरिसर्पस्थलचरो की एक हजार योजन, भुजपरिसर्पस्थलचरों की गव्यूतपृथक्त्व और पक्षियो (खेचरों) की धनुषपृथक्त्व प्रमाण उत्कृष्ट शरीरावगाहना जानना चाहिए॥२॥
विवेचन-इन सूत्रो मे तिर्यच पचेन्द्रिय जीवो की अवगाहना का वर्णन है। पंचेन्द्रिय जीवो के चार भेद है-(१) नारक, (२) तिर्यच, (३) मनुष्य, और (४) देव। नारक जीवो की अवगाहना की चर्चा पहले आ चुकी है। तिर्यचपचेन्द्रिय के पाँच भेद है-(१) जलचर-जल मे चलने वाले। (२) स्थलचरभूमि पर चलने वाले-गाय, भैस आदि। (३) खेचर-आकाश मे चलने/उडने वाले--पक्षी आदि। (४) उरःपरिसर्प-छाती के बल रेगकर चलने वाले-सॉप, अजगर आदि। (५) भुजपरिसर्प-भुजाओ के सहारे रेगकर चलने वाले चूहा, गिलहरी आदि। जो माता-पिता के सयोग के बिना ही जन्म लेते है वे सम्मूर्छिम तथा गर्भ से जन्म लेने वाले गर्भज अथवा गर्भव्युत्क्रान्त कहलाते है। जिस जीव ने कि आहार आदि पर्याप्ति (शक्ति) ग्रहण कर ली है वह पर्याप्तक तथा जिसकी शक्तियाँ अभी अपूर्ण है वह अपर्याप्तक। इस प्रकार उक्त पाँच तिर्यचपचेन्द्रिय जीवो का सम्मूर्छिम, गर्भज, पर्याप्तक, अपर्याप्तक के चार-चार भेद से बीस भेद हो जाते है। यहाँ जलचर आदि प्रत्येक के ७-७ भेद किये गये है।
अवगाहना-प्रकरण
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The Discussion on Avagahana
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