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(२) (प्र.) भंते ! संमूर्छिम मनुष्यों की अवगाहना कितनी है ?
(उ.) गौतम ! संमूर्छिम मनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के र असंख्यातवें भाग प्रमाण है।
(2) (Q.) Bhante ! How large is the avagahana (space occupied) by the body of a Sammurchhim Manushya (human being of asexual origin)?
(Ans.) Gautam ! The minimum as well as maximum avagahana (space occupied) by the body of a Sammurchhım Manushya (human being of asexual origin) is (generally) innumerable fraction of an angul.
(३) गब्भवक्कंतियमणुस्साणं जाव गोयमा ! जह. अंगु. असं., उक्को. तिन्नि गाउयाइं।
अपज्जत्तगगब्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा, गो. ! जह. अंगु. असं., उक्को. वि अंगु. असं.।
पज्जत्तयग. पुच्छा, गो. ! जह. अंगु. असं., उक्को. तिन्नि गाउआई। __ (३) (प्र.) भगवन् ! गर्भव्युत्क्रान्त (गर्भज) मनुष्यों की अवगाहना की पृच्छा है ?
(उ.) गौतम ! सामान्य रूप में गर्भज मनुष्यों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट तीन गव्यूत प्रमाण है। (प्र.) भगवन् ! अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्त मनुष्यों की अवगाहना कितनी है ? (उ.) उनकी जघन्य और उत्कृष्ट शरीरावगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। (प्र.) भगवन् ! पर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्त मनुष्यों की अवगाहना का प्रमाण कितना है ?
(उ.) गौतम ! उनकी जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट अवगाहना तीन गव्यूत प्रमाण है।
विवेचन-प्रस्तुत प्रश्नोत्तरो मे मनुष्यो के पाँच अवगाहना स्थान बताये गये है-(१) सामान्य मनुष्य, (२) समूर्छिम मनुष्य, (३) गर्भज मनुष्य, (४) अपर्याप्त गर्भज मनुष्य, और (५) पर्याप्त गर्भज मनुष्य। संमूर्छिम तिर्यचों की तरह संमूर्छिम मनुष्यो मे अपर्याप्त और पर्याप्त ये दो विकल्प नहीं होते। समूर्छिम मनुष्य गर्भज मनुष्यो के शुक्र, शोणित आदि मे ही उत्पन्न होते है और वे अपर्याप्त अवस्था मे ही मर जाते है। अत उनमे पर्याप्त-अपर्याप्त विकल्प सम्भव नही है।
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(128)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
SANE
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