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सामान्य मनुष्यो की जो उत्कृष्ट अवगाहना तीन कोस की कही है, वह देवकुरु आदि के मनुष्यों की अपेक्षा से समझना चाहिए।
मनुष्य की शरीरगत लम्बाई-चौडाई आदि पर भूमि का, भोजन का तथा समय का प्रभाव पडता है। प्राचीन इतिहास पढने वाले जानते है आज से हजारों, लाखो वर्ष पहले के जलचर आदि अन्य जीवो की शरीरगत विशालता का वर्णन आज आश्चर्यजनक लगता है, परन्तु यह पुरातात्त्विक सत्य है कि प्राचीनकाल के जीव पर्वत जैसे विशालकाय होते थे। ___ वर्तमानकाल मे शरीरगत अवगाहना (उच्चता) की अधिकता के कुछ उदाहरण देखिए
“बम्बई की देवल सर्कस कम्पनी मे एक नौ फीट ऊँचा आदमी काम करता था। १८ दिसम्बर, १८९२ के 'गुजरात मित्र' नामक समाचार-पत्र के ३०वे अक मे अस्थि-पजरो का वर्णन करते हुए लिखा है कि 'कोनटोलोकस' नाम का एक राक्षस साढे पन्द्रह फुट ऊँचा था। 'फरटीग्स' नाम का मनुष्य २८ फीट ऊँचा था। मुलतान शहर मे वीर दरवाजे के भीतर एक नौ गज की कब्र अभी तक विद्यमान है, जिससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि उस कब्र वाला मनुष्य नौ गज यानी २७ फीट ऊँचा था। विदेश के एक अजायबघर में डेढ फुट लम्बा मनुष्य का दॉत रखा हुआ है। विचार कीजिए, जिस मनुष्य का इतना लम्बा दॉत है वह मनुष्य डीलडौल और कद मे कितना ऊँचा होगा।'' (अनु. श्री ज्ञान मुनि जी, भाग २, पृ. ६१३)
(3) (Q.) Bhante ! How large is the avagahana (space occupied)
by the body of a Garbhavyutkrant Manushya (human being born en out of womb) ?
____(Ans.) Gautam ! The minimum avagahana (space occupied) by the body of a Garbhavyutkrant Manushya (human being born out of womb) is (generally) innumerable fraction of an angul and the maximum is three gavyut (six miles).
(Q.) Bhante ! How large is the avagahana (space occupied) by the body of an Aparyapt Garbhavyutkrant Manushya (underdeveloped human being born out of womb)?
(Ans.) Gautam ! The minimum as well as maximum avagahana (space occupied) by the body of an Aparyapt Garbhavyutkrant Manushya (underdeveloped human being born out of womb) is innumerable fraction of an angul.
(Q.) Bhante ! How large is the avagahana (space occupied) by the body of a Paryapt Garbhavyutkrant Manushya (fully developed human being born out of womb) ? ___(Ans.) Gautam ! The minimum avagahana (space occupied) by the body of a Paryapt Garbhavyutkrant Manushya (fully
अवगाहना-प्रकरण
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The Discussion on Avagahana
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