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। धूमप्पभाए भवधारणिज्जा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं पणुवीसं
धणुसयं। उत्तरवेउब्बिया जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं अड्डाइज्जाई धणुसयाई। ___ तमाए भवधारणिज्जा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं अड्डाइज्जाई धणुसयाई।
(५) इसी प्रकार समस्त पृथ्वियों (नरकभूमियो) के विषय में अवगाहना सम्बन्धी जिज्ञासा करना चाहिए। उत्तर इस प्रकार है-पंकप्रभापृथ्वी में भवधारणीय जघन्य अवगाहना अगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट बासठ धनुष और दो रलिप्रमाण है। उत्तरवैक्रिय शरीरावगाहना जघन्य अंगुल के संख्यातवें भाग एवं उत्कृष्ट एक सौ पच्चीस धनुषप्रमाण है।
धूमप्रभापृथ्वी मे भवधारणीय जघन्य अवगाहना अगुल के असंख्यातवें भाग तथा उत्कृष्ट एक सौ पच्चीस धनुषप्रमाण है। उत्तरवैक्रिय शरीरावगाहना जघन्य अंगुल के सख्यातवे भाग और उत्कृष्ट ढाई सौ (दो सौ पचास) धनुषप्रमाण है। ____ तमःप्रभापृथ्वी मे भवधारणीय शरीर की अवगाहना जघन्य अगुल के असंख्यातवे भाग
और उत्कृष्ट ढाई सौ धनुषप्रमाण है। उत्तरवैक्रिय शरीरावगाहना जघन्य अंगुल के संख्यातवें भाग और उत्कृष्ट पाँच सौ धनुष है।
(5) In the same way questions should be asked for all the lands belonging to the realm of naaraks (infernal beings). The answers are as follows-In case of Pankprabha land the minimum avagahana (space occupied) of the Bhavadharaniya (normal) body is innumerable fraction of an angul and the maximum is sixty two dhanushas and two ratni. The minimum avagahana (space occupied) of the Uttar-varkriya (secondary transmuted) body is countable fraction of an angul and the maximum is one hundred twenty five dhanushas.
In case of Dhoomprabha land the minimum avagahana (space occupied) of the Bhavadharaniya (normal) body is innumerable fraction of an angul and the maximum is one hundred twenty five dhanushas. The minimum avagahana (space occupied) of the
अवगाहना-प्रकरण
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The Discussion on Avagahana
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