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चतुरिन्द्रिय जीवों की शरीरावगाहना
(३) चउरिंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहन्त्रेणं अंगुलरस असंखेज्जइभागं; उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई; अपज्जत्तायाणं जहनेणं उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं; पज्जत्तयाणं पुच्छा, जहन्त्रेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई ।
( ३ ) ( प्र . ) भगवन् ! चतुरिन्द्रिय जीवो की अवगाहना कितनी है ?
( उ ) गौतम ! सामान्य रूप से चतुरिन्द्रिय जीवों की जघन्य शरीरावगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट चार गव्यूत प्रमाण है। अपर्याप्त (चतुरिन्द्रिय जीवों) की जघन्य एव उत्कृष्ट अवगाहना अगुल के असख्यातवें भाग प्रमाण है। पर्याप्तकों की जघन्यतः अगुल के असख्यातवे भाग एवं उत्कृष्टतः चार गव्यूत प्रमाण है।
विवेचन-पर्याप्तक त्रीन्द्रिय जीवो की बताई गई तीन गव्यूत प्रमाण उत्कृष्ट अवगाहना अढाई द्वीप ( जम्बू द्वीप, धातकीखण्ड द्वीप और अर्ध- पुष्कर द्वीप) मे नही मिलती, इनसे बाहर के द्वीपो में रहने वाले कर्ण-शृगाली आदि त्रीन्द्रिय जीवो की अपेक्षा यह कथन है। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय पर्याप्त जीवो की उत्कृष्ट अवगाहना का चार गव्यूत प्रमाण अढाई द्वीप से बाहर के भ्रमर आदि चतुरिन्द्रिय जीवो की अपेक्षा से समझना चाहिए।
CHATURINDRIYA (FOUR-SENSED) BEINGS
(3) (Q.) Bhante ' How large is the avagahana (space occupied ) by the body of a Chaturundriya (four-sensed) being ?
(Ans.) Gautam ! The minimum avagahana (space occupied) by the body of a Chaturindriya ( four - sensed) being is (generally) innumerable fraction of an angul and the maximum is four gavyut (eight miles). The minimum as well as maximum avagahana (space occupied) by the body of an Aparyapt Chaturindriya (underdeveloped four-sensed) being is innumerable fraction of an angul The minimum avagahana (space occupied) by the body of a Paryapt Badar Chaturindriya (fully developed gross four-sensed) being is innumerable fraction of an angul and the maximum is four gavyut (eight miles).
Elaboration-In context of the space occupied by the body of a Paryapt Trindriya (fully developed three-sensed) being the maximum is mentioned as three gavyut (six miles) Beings of this huge dimension do not exist in
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र - २
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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