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(उ.) जिस काल मे जो मनुष्य होते हैं (उस काल की अपेक्षा) उनके अपने अंगुल को आत्मागुल कहते हैं। उनके अपने अगुल से बारह अगुल का एक मुख होता है। नौ मुख जितना (अर्थात् एक सौ आठ आत्मागुल की ऊँचाई वाला) पुरुष प्रमाणयुक्त होता है। द्रोणिक पुरुष मानयुक्त होता है और अर्धभार जितने तोल वाला पुरुष उन्मानयुक्त
होता है।
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____ जो पुरुष मान, उन्मान और प्रमाण से सम्पन्न होते हैं तथा साथ ही (शंख आदि)
शारीरिक शुभ लक्षणो (तिल, मसा आदि), व्यजनो से और (उदारता, करुणा आदि) सद्गुणों से युक्त होते हैं तथा उग्र, भोग आदि उत्तम कुलों मे उत्पन्न होने वाले पुरुषो को उत्तम पुरुष कहा जाता है॥१॥ ___ ये उत्तम पुरुष अपने अंगुल से एक सौ आठ (१०८) अंगुल ऊँचे होते हैं। अधम पुरुष छियानवै (९६) अंगुल और मध्यम पुरुष की ऊँचाई एक सौ चार (१०४) अंगुल की होती है ॥२॥
जो व्यक्ति स्वर, सत्व, सार से हीन होते है, वे उक्त प्रमाण से हीन हों या अधिक, वे उत्तम पुरुषों के अधीन रहकर उनकी सेवा करते हैं ॥३॥ (1) ATMANGUL
334. (Q.) What is this Atmangul?
(Ans.) The breadth of the finger of man belonging to a particular epoch (this statement is about the average ideal standard man of the specific epoch; this is variable with respect to epoch) is called atmangul (own finger) (Now the ideal standard is described) He has a face that has a length equal to the breadth of his own twelve fingers. A person having a height equal to nine times the length of his face is the ideal standard man (in context of linear measure). A draunik man (a man who displaces the volume of water equal to one dron) is the ideal standard man (in context of volume). A man weighing ardhabhar is the ideal standard man (in context of weight).
The individuals who are born in high class families or clans, are endowed with the aforesaid ideal-maan, unmaan and pramana (ideal standard measurements including those of volume and weight) as also with auspicious lakshans (signs like conch-shell),
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सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(74)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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