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३३८. एतेसि णं भंते ! सूइअंगुल-पयरंगुल-घणंगुलाण य कतरे कतरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ? ___ सव्वत्थोवे सूइअंगुले, पयरगुंले असंखेज्जगुणे, घणंगुले असंखेज्जगुणे। से तं
आयंगुले। ___ ३३८. (प्र.) भंते ! इन सूच्यंगुल, प्रतरांगुल और घनांगुल में से कौन किससे अल्प, अधिक, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ?
(उ.) इनमें सूच्यंगुल सबसे अल्प (कम) है, प्रतरांगुल उससे असंख्यातगुणा है और उससे घनांगुल असंख्यातगुणा है। यह आत्मांगुल है। ___ 338. (Q.) Bhante ! Which of these three, Suchyangul (linear angul), Pratarangul (square angul) and Ghanangul (cubic angul), is relatively less, more, equal or much more. ____ (Ans.) Of these, Suchyangul (linear angul) is least, Pratarangul (square angul) is innumerable times larger than it and Ghanangul (cubic angul) is still innumerable times larger.
This concludes the description of Atmangul pramana (standard of the breadth of own finger). (२) उत्सेधांगुल
३३९. से किं तं उस्सेहंगुले ? उस्सेहंगुले अणेगविहे पण्णत्ते। तं जहा
परमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च वालस्स।
लिक्खा जूया य जवो अट्टगुणविवडिया कमसो॥१॥ ३३९. (प्र.) उत्सेधांगुल क्या है?
(उ.) उत्सेधांगुल अनेक प्रकार का है। वह इस प्रकार है-(१) परमाणु, (२) त्रसरेणु, (३) रथरेणु, (४) बालाग्र (बाल का अग्र भाग), (५) लिक्षा (लीख), (६) यूका (जू), और (७) यव (जौ)। ये सभी क्रमशः उत्तरोत्तर आठ गुणे जानना चाहिए।
विवेचन-यहाँ 'अनेक प्रकार' का इगित अनेक प्रकार की वर्धमान इकाइयो से मिलकर बना होने से है। जो क्रमश बढता जाता है उसे 'उत्सेध' कहते है। ऐसी घटक इकाइयो से जो अगुल का नाप
ॐ सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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