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विवेचन - सूची अगुल का अर्थ है - जो रेखा सुई की तरह एक ही आयाम (डाइमैन्शन) में फैली हो । जिसकी लम्बाई एक अगुल जितनी तथा चौडाई और मोटाई एक आकाशप्रदेश जितनी हो । इसकी आकृति इस प्रकार समझी जा सकती है
(एक पंक्ति मे तीन बिन्दु)
प्रतरांगुल - प्रतर का अर्थ है वर्ग । सूची अंगुल को सूची अंगुल से गुणा करने पर प्रतर अगुल बनता है जिसकी आकृति इस प्रकार बनती है
( तीन-तीन बिन्दुओ की तीन पक्तियाँ)
घनांगल - गणित शास्त्र के अनुसार एक सख्या को उसी सख्या से दो बार गुणा करने को घन कहते है (२ × २ × २ ) । त्रिआयामी ज्यामिति मे वस्तु की लम्बाई, चौडाई और मोटाई से घन बनता है। कही है। प्रतर अंगुल को सूची अगुल से गुणा करने पर घन अगुल प्राप्त होता है। इसकी आकृति की कल्पना इस प्रकार हो सकती है
इसका साराश यह है कि सूची अगुल से वस्तु की दीर्घता = लम्बाई, प्रतरांगुल से लम्बाई-चौडाई तथा घनागुल से लम्बाई, चौडाई और मोटाई जानी जाती है। एक उदाहरण द्वारा इसे यो समझा सकते है - एक अगुल लम्बे बारीक धागे को नापने मे सूच्यगुल उपयोगी होता है, एक अगुल लम्बे-चौडे वस्त्र को नापने मे प्रतरागुल की उपयोगिता है और जहाँ धातु के टुकडे की लम्बाई, चौडाई और मोटाई तीन नापी जाती है वहाँ घनागुल की उपयोगिता है।
THREE KINDS OF ATMANGUL
337. Generally atmangul is said to be of three types— (1) Suchyangul (linear angul), (2) Pratarangul (square angul), and (3) Ghanangul (cubic angul).
(1) One angul long and one space-point wide row of space-points is called Suchyangul (linear angul); (2) Suchyangul (linear angul) multiplied by suchyangul (linear angul) is Pratarangul (square
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र - २
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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