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चित्र परिचय ७
Illustration No. 7
आत्मांगुल का प्रयोजन आत्मांगुल-जिस काल मे जो मनुष्य होते है उनका अपना अगुल आत्मागुल कहा जाता है। (सूत्र ३३४) इस आत्मागुल से भवन, सरोवर, कुऑ, आपण (हाट), उद्यान, परकोटे, गोपुर (नगर द्वार), बैलगाडी, रथ आदि निर्मित वस्तुओ का नाप किया जाता है।
-सूत्र ३३६, पृष्ठ ७८ उत्सेधांगुल-अगुल के बीच आठ यव के नाप से आठ यवमध्य का एक उत्सेधागुल होता है। उत्सेधागुल से नरक, तिर्यच, मनुष्य एव देवगति वाले जीवो के शरीरो की अवगाहना नापी जाती है।
-सूत्र ३४५-३४६, पृष्ठ ९४
THE USE OF ATMANGUL Atmangul (Own Finger)-It is the breadth of a finger of the men of the epoch under reference (aphorism 334) It is used to measure the dimensions of things like-buildings, ponds, wells, markets, gardens, parapet walls, city gates, bullock-carts, chariots etc
-Aphorism 336, p 78 Utsedhangul-Eight yavamadhyas make one utsedhangul This unit is used to measure the space occupied by beings like infernal-beings, animals, humanbeings and divine-beings
--Aphorusms 345-346, p 94
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