________________
* vyanjans (marks like mole) and virtues (like generosity and a compassion) are called uttam purush or excellent ones (1)
These excellent ones have a height of one hundred and eight anguls The inferior ones measure ninety six anguls and the mediocre ones one hundred and four anguls. (2)
Irrespective of measuring higher or lower than the said standards, those who are devoid of good voice, substance and worth remain subservient to and serve the excellent ones. (3)
३३५. एतेणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाई पादो, दो पाया विहत्थी, दो विहत्थीओ रयणी, दो रयणीओ कुच्छी, दो कुच्छीओ दंड धणू जुगे नालिया अक्ख-मुसले, दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं।
३३५. इस आत्मागुल से छह अंगुल का एक पाद (पॉव का अग्र भाग) होता है। दो * पाद की एक वितस्ति, दो वितस्ति की एक रत्नि (हाथ) और दो रनि की एक कुक्षि, दो
कुक्षि का एक दण्ड या धनुष या युग या नालिका या अक्ष या मूसल जानना चाहिए। दो * हजार धनुष का एक गव्यूत (एक कोस) और चार गव्यूत का एक योजन होता है।
विवेचन-सूत्र ३३४ मे पुरुषो के दो वर्गीकरण बताये है__ पहला-(१) प्रमाणयुक्त, (२) मानयुक्त, तथा (३) उन्मानयुक्त।
दूसरा-(१) उत्तम पुरुष, (२) मध्यम पुरुष, तथा (३) अधम पुरुष।
(१) अपने अगुल से १२ अगुल का मुख होता है और ९ मुख जितना अर्थात् १०८ अगुल वाला पुरुष प्रमाण पुरुष होता है।
(२) द्रौणिक पुरुष-पानी से भरी हुई एक बडी कुडिका को द्रोणी कहते है। उस कुडिका मे बैठाने " पर द्रोण (४ आढक) जितना पानी छलककर बाहर निकल जाये अथवा उतनी खाली द्रोण मे प्रवेश करने पर वह भर जाये उसे द्रोणिक पुरुष कहा जाता है। द्रोणिक पुरुष मानयुक्त कहलाता है।
(३) उन्मानयुक्त-तराजू से तोलने पर जिस पुरुष का वजन अर्ध भार यानी ५२ ५ सेर या ४८८३ * किलोग्राम होता है, वह उन्मानयुक्त कहलाता है।
___उत्तम पुरुष की ऊँचाई १०८ अगुल, मध्यम पुरुष की १०४ अगुल तथा अधम पुरुष की ९६ अगुल मानी गई है।
जिसके शरीर मे शख, स्वस्तिक आदि शुभ लक्षण, तिल, मष आदि चिन्ह व्यजन होते है, जिसका शरीर सत्व, बल, ओज, दृढता आदि से युक्त तथा जिसका स्वर गम्भीरता आदि गुणो से युक्त, उदारता, करुणा आदि सद्गुणो से युक्त तथा जिनका जन्म उच्च कुलो मे होता है, वे उत्तम पुरुष कहलाते है।
प्रमाण-प्रकरण
(75)
The Discussion on Pramana
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org