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अध्याय १ : मोक्षमार्ग ३७ सम्यग्दर्शन के भेदों, यथा-निसर्गज, अधिगमज, निश्चय, व्यवहार, द्रव्य, भाव, पौद्गलिक, अपौद्गलिक, क्षायिक आदि को विधान अथवा प्रकार (Kinds) शब्द से कहा गया है ।
आधुनिक युग में भी किसी विषय, वस्तु अथवा समस्या पर विचार करने के लिए यही ६ साधन अथवा उपाय अपनाये जाते हैं । पश्चिमी देश के वैज्ञानिकों ने अपना ६ शब्दों का सूत्र दिया है ।
Who (कौन), Where (कहाँ), How (कैसे), What (क्या), When (कब) और Why (क्यों) ?
यदि विचार किया जाय तो विस्तृत एवं सर्वांगीण ज्ञान के लिए ग्रन्थ में दिये गये निर्देश आदि उपाय शाश्वत सिद्धान्त हैं और आध्यात्मिक तथा लौकिक सभी क्षेत्रों में इनकी उपयोगिता निर्विवाद है । आगम वचन -
अणुगमे नवविहे पण्णत्ते, तं जहा - - संतपयपरू वणया (१), दव्व पमाणे च (२), खित्त (३), फुसणा य (४), कालो य (५), अंतर (६), भाग (७) भाव, (८) अप्पाबहुँ (९) चेव ॥
- अनुयोग द्वार सूत्र ८० (अनुगम (ज्ञान होने का प्रकार अथवा साधन) नौ प्रकार का कहा गया
है -
(१) सत्पदप्ररूपणा, (२) द्रव्यप्रमाण, (३) क्षेत्र, (४) स्पर्शन, (५) काल, (६) अन्तर, (७) भाग, (८) भाव और, (९) अल्पबहुत्व । ज्ञान के अनुयोग अथवा विचारणा द्वार -
सत्संख्याक्षेत्रस्पर्शनकालान्तरभावाल्पबहुत्वैश्च । ८ ।
(१) सत्, (२) संख्या, (३) क्षेत्र, (४) स्पर्शन, (५) काल, (६) अन्तर, (७) भाव और (८) अल्पबहुत्व- (इन अनुयोगद्वारों से भी तत्त्वादि का विचार किया जाता है ।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में तत्त्व आदि के विस्तृत और तलस्पर्शी ज्ञान के साधनभूत उपायों का निर्देश किया गया है ।
आगम (अनुयोगद्वार) में इसके लिए 'अनुगम' शब्द दिया गया है । उसका आशय भी ज्ञानप्राप्ति के उपाय अथवा प्रकारों से हैं । वहां 'भाग'
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