________________
अजीव तत्त्व वर्णन २२७ स्थान में संख्यात, असंख्यात और अनन्त पुद्गल परमाणु अवस्थित रह सकते हैं । किन्तु एक परमाणु जितने स्थान में एक ही प्रदेश अवस्थित रह सकता है, एक से अधिक नहीं । इसीलिए सूत्र ११ में कहा गया है कि अणु में कोई प्रदेश नहीं होता ।
प्रदेश को अंग्रेजी में space point और परमाणु को atom कहा जाता
एक प्रदेश (space point) पर अनन्त परमाणु कैसे समा सकते हैं, इसके लिए एक साधारण उदाहरण उपयोगी होगा । जैसे एक डिब्बा (container) हैं, इसमें तो कोई ठोस (solid) द्रव्य भरा जा सकता है, किन्तु पूरे भरे डिब्बे में, और अधिक ठोस द्रव्य नहीं भरा जा सकता ।
एक परमाणु जितने स्थान पर अवस्थित हैं, उतने स्थान में संख्यात (Numerable) असंख्यात (Innumerable) अनन्त (Infinite) और अनन्तानन्त (Infinite progression) कैसे समा सकते हैं, इसे एक अति साधारण स्थूल उदाहरण से समझा जा सकता है
· पानी से लबालब भरा एक बर्तन (iua) लीजिए । उसमें धीरे-धीरे शक्कर (sugar) डालते जाइये आप देखेंगे कि पानी से पाँच गुनी शक्कर समा गई और पानी के एक बूंद भी बाहर न गिरी ।
इसी प्रकार एक परमाणु घेरे उतने स्थान में अनन्त परमाणु भी समा सकते है |
___ सूत्र में जो आकाश के अनन्त प्रदेश बताये हैं, वे सम्पूर्ण आकाश द्रव्य (अस्तिकाय) के हैं अर्थात लोकाकाश और अलोकाकाश-दोनों को मिलाकर सम्पूर्ण आकाश के प्रदेश अनन्त हैं ।
वैसे लोकाकाश के प्रदेश असंख्यात हैं और अलोकाकाश के अनन्त प्रदेश हैं । इसका कारण यह है कि लोकाकाश की अपेक्षा अलोकाकाश अनन्त गुणा कहा गया है ।
पुद्गल परमाणु तथा अन्य द्रव्यों के प्रदेश में अन्तर - पुद्गल परमाणु तथा अन्य द्रव्यों के प्रदेशों में प्रमुख अन्तर हैं - संयोग और वियोग का । पुद्गल परमाणु परस्पर मिलते हैं, एक रूप होते हैं और फिर अलगअलग भी हो जाते हैं ।
ऐसी स्थिति अन्य चारों द्रव्यों के प्रदेशों में नहीं है । वे समुच्चय रूप में रहते हैं । ऐसा कभी नहीं होता कि जीव के कुछ प्रदेश कभी अलग हो
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org