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कर्म की दशाएं (अवस्थाएं)
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सत्ता
उद्वर्तना -
- अपवर्तना -
उपशमन
निधत्ति
अबाध
- निकाचना - अबाध
जन्य
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परिणाम की जन्य प्रसुप्त
अवस्था
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(एक अपेक्षा से) जघन्य १ प्रदेशोदय निश्चित कर्मों कर्मों कर्मों १ प्रकृतिबंध मध्यम २ विपाकोदय अवधि की . की की की २ प्रदेशबंध उत्कृष्ट
से पहले स्थिति स्थिति उत्तर उपशांत ३ स्थितिबंध
विपाकोदय के हेतु ही कर्मों और और प्रकृतियों दशा ४ अनुभावबंध १ द्रव्य की निर्जरा अनुभाव अनुभाव का एक (दूसरी अपेक्षा से)
२क्षेत्र
कर देना में वृद्धि में कमी दूसरे १बद्ध ३ काल
रूप में २ स्पृष्ट ४भाव
परिणमन ३ बद्धस्पृष्ट
५भव ४ निधत्त
६ बाह्यनिमित्त
बन्ध तत्त्व
नोट :- बंध और उदय में मंद, मंदत्तर, मंदतम तथा तीव्र, तीव्रतर की अपेक्षा तरतमभाव होता है ।
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