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अध्याय १ : मोक्षमार्ग ७७ सामान्य जीवन के उदाहरण से ही सप्तभंगी का महत्व स्पष्ट हो जाता है। इसके अन्य भी अनेक उदाहरण दिये जा सकते है।
सप्तभंगी धामिक क्षेत्र में तो महत्वपूर्ण है ही व्यावहारिक, क्षेत्र में भी इसका बहुत महत्व है । इसके उपयोग बिना व्यक्ति का पारिवारिक, नैतिक, सामाजिक सभी प्रकार का जीवन विश्रृंखलित हो जायेगा ।
इसका प्रभाव इतना व्यापक है कि सभी दार्शनिकों, विद्वानों, मनीषियों यहाँ तक कि साधारण जनता ने भी इसे अपनाया । विद्वानों ने विभिन्न नाम देकर तो जन-साधारण ने बिना नाम दिये ही इसे जीवन व्यवहार में स्वीकार किया है ।
इसीलिए तो एक आचार्य ने कहा है - जेण विणा लोगस्स वि ववहारो सव्वहा न निव्वडइ । तस्स भुवणे कगुरुणो णमो अणेगन्तवायस्स । ।
- जिसके बिना लोक व्यवहार सुविधापूर्वक नहीं चल सकता, उस जगत के एकमात्र गुरु अनेकांतवाद को नमस्कार है ।
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