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ऊर्ध्वलोक-देवनिकाय १८३ सामने के भाग में सिंह समान आकृति वाले, दाहिनी ओर गजाकृति वाले पीछे की ओर वृषभाकृति वाले ओर बाईं ओर अश्वाकृति वाले देव इन विमानों के नीचे लगकर इन्हें उठाये चलते रहते हैं ।
एक चन्द्र का परिवार - एक चन्द्र के परिवार में २८ नक्षत्र, ८८ महाग्रह और ६६९७५ कोटाकोटि तारे हैं ।
मनुष्यलोक में सूर्य-चन्द्र की संख्या - यह पहले ही बताया जा चुका है कि ढाई द्वीप तक मनुष्यलोक है । ढाई द्वीप हैं- जंबूद्वीप, धातकीखण्ड द्वीप और अर्द्धपुष्करवरद्वीप । जंबुद्वीप और धातकीखंडद्वीप के बीच में लवण समुद्र है और धातकीखण्ड तथा पुष्करवर द्वीप के बीच में कालोदधि समुद्र है । पुष्करवर द्वीप के बीच मे मानुषोत्तर पर्वत हैं । मनुष्य इस पर्वत के इधर ही हैं, इससे आगे नहीं ।।
ढाई द्वीप अथवा मनुष्य क्षेत्र में कुल १३२ सूर्य और १३२ चन्द्र हैं । इनका द्वीप समुद्रगत विवरण इस प्रकार है -
जंबूद्वीप में २ चन्द्र और २ सूर्य हैं । लवणसमुद्र में चार-चार चन्द्र सूर्य हैं । धातकीखण्डद्वीप में बारह-बारह चन्द्र-सूर्य हैं । कालोदधि समुद्र में इनकी संख्या बयालीस-बयालीस है और पुष्करवरार्द्ध द्वीप में बहत्तर-बहत्तर
इस प्रकार चन्द्रमाओं की संख्या (२+४+१२+४२+७२=१३२) है और इतनी ही संख्या सूर्यों की है ।
चार अथवा परिभ्रमण गति - जैसा कि बताया जा चुका है - जंबूद्वीप में दो सूर्य और दो चन्द्रमा हैं । अतः एक सूर्य मेरू पर्वत की प्रदक्षिणा दो दिन में करता है । इसका परिभ्रमण क्षेत्र जंबूद्वीप के अन्दर १८० योजन
और लवणसमुद्र में ३३०, ४८/६१ योजन हैं । सूर्य के घूमने के मण्डल १८३ हैं और एक मण्डल से दूसरे मण्डल का अन्तर २ योजन हैं । इस प्रकार प्रथम मंडल से अन्तिम मण्डल. तक आने में सूर्य को ३६६ दिन लगते हैं । यही एक सौर वर्ष है।
विशेष - आधुनिक विज्ञान भी सौर वर्ष को ३६५, १/४ दिन का मानता है ।
चन्द्र की गति सूर्य की अपेक्षा कुछ कम हैं । वह मेरु की प्रदक्षिणा २ दिन से कुछ अधिक समय में कर पाता है। उसके मंडल १५ हैं । १५ मंडलों में चन्द्र एक महिने (चान्द्रमास) में १४, १/४+१/१२४ मंडल ही चलता है, अतः चान्द्र वर्ष में ३५५/३५६ दिन होते हैं ।
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