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नारक जीव
(तत्त्वार्थ सूत्र के अनुसार)
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३१।
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क्रम नरक नाम .
आयु लेश्या वेदना अवगाहना १
जघन्य । उत्कृष्ट १. | रत्नप्रभा | कापोत लेश्या
ताप (उष्ण) वेदना |७|| धनुष ६ अंगुल | १०००० वर्ष | १ सागर शर्कराप्रभा | तीव्र संक्लेशकारी कापोतलेश्या |
१५ ॥ " १२" १ सागर बालुकाप्रभा | कापोत-नील लेश्या पंकप्रभा नील लेश्या
ताप-शीत वेदना । धूमप्रभा | नील-कृष्ण लेश्या शीत-ताप वेदना १२५ मःप्रभा | कृष्ण लेश्या
शीत वेदना | २५० महातमःप्रभा| तीव्रतम कृष्ण लेश्या शीततम वेदना
ॐ
४.२॥
अधालोक तथा मध्यलोक .
ॐ
ॐ
|५००
१. अवगाहना का अर्थ मूल शरीर का आकार है और नारक जीव विक्रिया द्वार, अपने शरीर को दुगुना बढ़ा सकते हैं ।
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