Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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कालानुगम-विषय-सूची
प्र. नं.] क्रम नं.
क्रम नं.
विषय
और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल ११९ सासादनसम्यग्दृष्टिसे लेकर अयोगिकेवली गुणस्थान तक दोनों प्रकारके पंचेन्द्रिय जीवोंका कालवर्णन १२० पंचेन्द्रिय
लब्ध्यपर्याप्तक
जीवोंका काल १३ काय मार्गणा
१२१ पृथिवीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक और वायुकायिक जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कालका निरूपण १२२ बादरपृथिवीकायिक, बादरजलकायिक, बादर अग्निकायिक बादरवायुकायिक और बादरवनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर जीवोंका नाना और एक जीव की अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल
१२३ कर्मस्थिति से किस कर्मकी
स्थितिका अभिप्राय है, दर्शनमोहनीय कर्म की स्थितिको प्रधानता क्यों है, इन शंकाओंका समाधान १२४ उक्त पांचों प्रकार के पर्याप्त स्थावर जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कालका पृथक् पृथक् निरूपण १२५ उक्त पांचों प्रकारके लब्ध्यपर्याप्त स्थावर जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल १२६ सूक्ष्म तथा पर्याप्तक और अपर्याप्तक पांचों स्थावर
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३९९-४००
४००
काल
४००.४०१
१२८ निगोदिया जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल १२९ बादरनिगोद जीवोंका काल ४०१-४०९ | १३० त्रसकायिक और त्रसकायिक पर्याप्त मिथ्यादृष्टि जीवोंके नाना और एक जीव की अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कालोका तत्सम्बन्धी शंका-समाधानपूर्वक निरूपण १३१ सासादन सम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लगाकर अयोगिकेवली गुणस्थान तकके सकायिक और त्रसकायिक पर्याप्त जीवांका काल १३२ सकायिक लब्ध्यपर्याप्तक जीवोंका काल
४ योगमार्गणा
४०१-४०२
४०२-४०३
४०३
४०३-४०४
विषय
कायिक जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा काल १२७ वनस्पतिकायिक
जीवका
४०५
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(५३)
पू. नं.
| १३३ पांचों मनोयोगी और पांचों वचनयोगी मिथ्यादृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि, संयतासंयत, प्रमत्तसंयत, अप्रमत्तसंयत और सयोगिकेवली गुणस्थानवर्ती जीवोंका नाना जीवों की अपेक्षा काल निरूपण
१३४ एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंके जघन्य कालका योगपरिवर्तन, गुणस्थान परिवर्तन मरण और व्याघात, इन चारके द्वारा सोदाहरण काल निरूपण १३५ उक्त जीवोंके उत्कृष्ट कालका वर्णन
४०५-४०६
४०६
४०६-४०७ ४०७
४०७-४०८
४०८
४०८-४०९ ४०९-४३७
४०९
४०९-४१२
४१२
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