Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, ५, १. ]
काला गमे णिद्देसपरूवणं
[ ३२१
काले तेसिं ववहारादो । जदि जीव- पोग्गलपरिणामो कालो होदि, तो सव्धेसु जीव- पोग्गलेसु संठिएण कालेन होदव्त्रं तदो माणुसखेत्ते कसुज्जमंडलट्ठिदो कालो चि ण घडदे ? ण एस दोसो, णिरवत्तादो । किंतु ण तहा लोगे समए वा संववहारो अस्थि; अणाइणिहणरूवेण सुज्जमंडलकिरियापरिणामेसु चेव कालसंववहारो पयट्टो । तम्हा एदस्सेव गहणं कायन्त्रं । केवचिरं कालो ? अणादिओ अपज्जवसिदो । कालस्स कालो किं तत्तो पुधभूदो अण्णो वा ? तव पुत्रभूदो अत्थि, अणवट्ठाणप्पसंगा । णाणण्णो वि, कालस्स कालाभावपसंगा । तदो कालस्स काले गिद्देसो ण घडदे ? ण, एस दोसो, ण ताव पुध
करनेके लिए अन्य दीपककी आवश्यकता नहीं हुआ करती है, इसी प्रकारसे कालद्रव्य भी अन्य जीव पुद्गल, आदि द्रव्योंके परिवर्तनका निमित्तकारण होता हुआ भी अपने आपका परिवर्तन स्वयं ही करता है, उसके लिए किसी अन्य द्रव्यकी आवश्यकता नहीं पड़ती है । इसीलिए अनवस्था दोष भी नहीं आता है ।
शंका – देवलोक में तो दिन-रात्रिरूप कालका अभाव है, फिर वहां पर कालका व्यवहार कैसे होता है ?
समाधान- नहीं, क्योंकि, यहां के कालसे ही देवलोक में कालका व्यवहार होता है ।
शंका- यदि जीव और पुद्गलोंका परिणाम ही काल है, तो सभी जीव और पुलोंमें कालको संस्थित होना चाहिए । तब ऐसी दशा में ' मनुष्यक्षेत्र के एक सूर्यमंडल में ही काल स्थित है' यह बात घटित नहीं होती है ?
समाधान - यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, उक्त कथन निरवद्य ( निर्दोष ) है । किन्तु लोकमें या शास्त्र में उस प्रकार से संव्यवहार नहीं है, पर अनादिनिधनस्वरूपसे सूर्यमंडलकी क्रिया - परिणामोंमें ही कालका संव्यवहार प्रवृत्त है । इसलिए इसका ही ग्रहण करना चाहिए |
शंका- - काल कितने समय तक रहता है ?
समाधान - काल अनादि और अपर्यवसित है । अर्थात् कालका न आदि है, न अन्त है ।
शंका-कालका परिणमन करनेवाला काल क्या उससे पृथग्भूत है, अथवा अनन्य ( अपृथग्भूत) १ पृथग्भूत तो कहा नहीं जा सकता है, अन्यथा अनवस्थादोषका प्रसंग प्राप्त होगा । और न अनन्य ( अपृथग्भूत) ही, क्योंकि, कालके कालका अभाव-प्रसंग आता है । इसलिए कालका कालसे निर्देश घटित नहीं होता है ?
समाधान - यह कोई दोष नहीं । इसका कारण यह है कि पृथक् पक्षमें कहा गया
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