Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 610
________________ २२३ फोसणपरूवणासुत्ताणि (७) सूत्र संख्या सूत्र __ पृष्ठ सूत्र संख्या ३९ सजोगिकेवलीहि केवडियं खेत्तं ५० सोधम्मीसाणकप्पवासियदेवेसु मि फोसिदं, लोगस्स असंखेज्जदि- च्छादिट्टिप्पहुडि जाव असंजदभागो, असंखेजा वा भागा, सब- सम्मादिट्टि त्ति देवो । २३४ लोगो वा। २२३ ५१ सणक्कुमारप्पहुडि जाव सदार४० मणुसअपज्जत्तेहि केवडियं खेतं सहस्सारकप्पवासियदेवेसु मिच्छापोसिदं, लोगस्स असंखेज्जदि दिट्टिप्पहुडि जाव असंजदसम्माभागो। दिट्ठीहि केवडियं खेतं पोसिद, ४१ सव्वलोगो वा। २२४ लोगस्स असंखेज्जदिभागो। २३७ ४२ देवगदीए देवेसु मिच्छादिहि- |५२ अट्ठ चोदसभागा वा देसूणा। २३७ सासणसम्मादिट्ठीहि केवडियं खेत ५३ आणद जाव आरणच्चुदकप्पपोसिदं, लोगस्प्त असंखेज्जदि- वासियदेवेसु मिच्छाइट्टिप्पहुडि भागो। २२४| जाव असंजदसम्मादिट्ठीहि केव४३ अट्ठ णव चौद्दसभागा वा देगा। २२५ डियं खेतं पोसिदं, लोगस्स ४४ सम्मामिच्छादिहि-असंजदसम्मा- असंखेज्जदिमागो। २३८ दिट्ठीहि केवडियं खेतं पोसिदं, ५४ छ चोदसभागा वा देसूणा पोसिदा। २३८ लोगस्स असंखेज्जदिभागो। २२७५५ णवगेवज्जविमाणवासियदेवेसु मि४२ अट्ठ चोद्दसभागा वा देसूणा। २२७ च्छादिटिप्पहुडि जाव असंजद४६ भवणवासिय-वाण-तर-जोदिसिय सम्मादिट्ठीहि केवडियं खेतं देवेसु मिच्छादिट्ठि-सासणसम्मा पोसिदं, लोगस्स असंखेज्जदि भागो। दिट्ठीहि केवडियं खेतं पोसिदं, लोगस्स असंखेजदिभागो। २२८ ५६ अणुदिस जाव सबसिद्धिविमाण । वासियदेवेमु असंजदसम्मादिट्ठीहि ४७ अद्भुट्ठा वा, अट्ठ णव चोदसभागा केवडियं खेतं पोसिदं, लोगस्स वा देसूणा । २२९ असंखेज्जदिभागो।। २४० ४८ सम्मामिच्छादिट्ठि-असंजदसम्मा- ५७ इंदियाणुवादेण एइंदिय-बादरदिट्ठीहि केवडियं खेत्तं पोसिदं, | मुहुम-पज्जत्तापज्जत्तएहिं केवलोगस्स असंखेज्जदिभागो। २३३ डियं खेत्तं फोसिदं, सबलोगो। २४० ४९. अद्धट्ठा वा अह चोद्दसभागा५८ बीइंदिय--तीइंदिय--चउरिदियदेसूणा। २३३ तस्सेव पज्जत्त-अपज्जत्तएहि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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