Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

View full book text
Previous | Next

Page 644
________________ शब्द वैक्रियिकसमुद्धात वैजयन्त वैरोचन वैश्वदेव व्यन्तरदेव व्यन्तरदेव राशि व्यन्तरदेवसासादन सम्यदृष्टि स्वस्थानक्षेत्र व्यन्तरावास व्यभिचार व्यवहारकाल व्याख्यान व्याघात व्यापक व्यास व्यंजन पर्याय शत शतसहस्र शतार शलाका शलाका संकलना शशिपरिवार शालभंजिका शुक्र शंखक्षेत्र श्रेणी श्रेणीबद्ध श्वेत श्रोत्रेन्द्रिय षडंश तापक्रमनियम षष्ठपृथिवी सचित्तद्रव्यस्पर्शन Jain Education International श पारिभाषिक शब्दसूची स पृष्ठ २६, १६६ | सत्त्व ३१९, ३८६ सदुक्खभ दुबाह ३१८ सद्भावस्थापनाकाल शब्द | सप्तमपृथिवी 39 १६१ | सप्तमपृथिवीनारक 93 ७९, १४४, १६५, ३३१ 39 समय १६१, २३१ |समानजातीय ४६, ३२० समीकरण ३१७ समीकृत समचतुरस्र | समपरिमंडल संस्थित समुद्धात ८ ४०९ समुद्धात केवलिजीवप्रदेश समुद्राभ्यन्तरप्रथमपंक्ति २२१ सम्प्रदायविरोधाशंका ३३७ सम्यक्त्व सम्यग्मिथ्यात्व २३५ सम्यग्मिथ्यादृष्टि सयोगिकाल २३६ सयोगी 39 ४३९, ४८४ सर्वलोकप्रमाण २०० | सर्वाकाश १५२ सर्वार्थसिद्धि १६५ सर्वार्थसिद्धिविमान २६५ | सर्वाद्धा १७८ २१८, २२६ ९० ३५ /सहस्र ७६, ८० सहस्रार १७४, २३४ सहानवस्थानलक्षणविरोध ३६८ | सागर ३९१ | सागरोपम | सागरोपमशतपृथक्त्व सान्तरोपक्रमणवार साहशसामान्य साध्य साधन १४३ | सानत्कुमार For Private & Personal Use Only (४१) पृष्ठ १४४ १८७ ३१४ ९० १६३ ८३ १७२ ३१७, ३१८ १६३ १७८ ५१ २६ ४५ १५१ १५८ ३५८ 99 33 ३५७ ३३६ ४२ १८ २४०, ३८७ ८१ ३६३ २३५ २३६ २५९, ४१२ १०, १८५ १०, १८५, ३१७, ३६०, ३८०, ३८७ ४००, ४४१, ४८५ ૨૪૦ ३ ३९६ " २३५ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 642 643 644 645 646