Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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क्रम नं.
विषय नाना और एक जीवकी अपेक्षा
जघन्य और उत्कृष्ट काल २२७ सासादन गुणस्थानसे लेकर
क्षीणकषाय गुणस्थान तकके
संशी जीवोका काल २२८ असंज्ञी जीवोंका नाना और
एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल
१४ आहारमार्गणा २२९ आहारक मिथ्यादृष्टि जीवोंका
शुद्धिपत्र
(५९) पृ. नं क्रम नं. विषय पृ. नं.
नाना और एक जीवकी अपेक्षा
जघन्य और उत्कृष्ट काल ४८६-४८७ २३० सासादन गुणस्थानसे लेकर
सयोगिकेवली गुणस्थान तकके आहारक जीवोंका काल
४८७ २३१ अनाहारक मिथ्यादृष्टि, सासा
दनसम्यग्दृष्टि, असंयतसम्य
ग्दृष्टि और सयोगिकेवली ४८६ जीवोंका काल
૪૮૭-૪૮૮ २३२ अनाहारक अयोगिकेवलीका काल
४८८
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शुद्धिपत्र
(पुस्तक १) पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध
হাই (हिंदी) ६३ ७ ज्ञानावरणादि आठ कर्मों के ज्ञानावरणादि चार घातिया कौके २६४ १६ कार्यमार्गणा
कायमार्गणा ३७६ १४ छेदोपस्थापना
सूक्ष्मसाम्पराय
३८४ , अवधिज्ञान
अवधिदर्शन
(पुस्तक २) ४४७ १२ क्षीण, संज्ञा
क्षीणसंज्ञा, १५१ २० और कार्मणकाययोग
और वैक्रियिककाययोग ४७३ १ सम्यक्त्व,
छह सम्यक्त्व, ४८१ ८ आहारक, अनाहारक,
आहारक, ४८८ १४ द्रव्यसे कापोत
आदिके दो दर्शन, द्रव्यसे कापोत-- ५४० १० सम्यग्मिथ्यादृष्टि देवोंके अपर्याप्त सम्यग्मिथ्यादृष्टि देवोंके आलाप
कालसम्बन्धी आलाप
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