Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, ३, २३. ]
खेतानुगमे ओगाहणादंडयखेत्तपरूषणं
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जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । बादरणिगोदणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्तिअपजत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्वत्तिपजत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसे साहिया । (णि गोदपदिट्ठिदपज्जतयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्वतिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । ) ' बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसररिणिव्वचिपंज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । वेइंदियणिव्यत्तिपज्जतयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तेइंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्य जहणिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । चउरिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । पंचिदियणिव्वत्तिपज्जतयस्स जहणिया ओगाहणा संखेञ्जगुणा । तेइंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । चउरिदियणिव्यत्तिअपजत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । वेइंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेजगुणा । बादरवण फइकाइयपत्तेय सरीरणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ।
जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे बादर पृथिवीकायिक निर्वृत्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर पृथिवीकायिक निर्वृत्त्य पर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर निगोद निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जंघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे बादर निगोद निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । इससे बादर निगोद निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । ( इससे निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यात - गुणी है। इससे निगोदप्रतिष्ठित निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । इससे निगोदप्रतिष्ठित निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है ।) इससे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे द्वीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे श्रीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है । इससे चतुरिन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है। इससे पंचेन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है । इससे त्रीन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है । इससे चतुरिन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है । इससे द्वीन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है । इससे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट
१ प्रतिष्ठ कोष्टकान्तर्गत पाठो नास्ति, वेदनाखंडादत्र योजितः ।
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