Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, ४, २५.] फोसणाणुगमे तिरिक्खफोसणपरूवणं
[१९५ एदस्स एया सलागा होदि १ । एदेण पमाणेण लवणसमुद्दे कीरमाणे सो जंबूदीवादो खेत्तगुणिदेण चउवीसगुणो होदि । वुत्तं च
बाहिरसूईवग्गो अब्भंतरसूइवग्गपरिहीणो।
जंबूदीवपमाणा खंडा ते होंति चउवीसा ॥५॥ एदीए गाहाए सव्वेसि दीव-समुद्दाणं पुध पुध खेत्तफलसलागाओ आणेदवाओ । तत्थ अट्ठण्हं खेत्तफलसलागाओ एदाओ।१।२४ | १९४ ६७२ २८८० | ११९०४ | ४८३८४ १९५०७२ |
लवणसमुदखेत्तफलवुप्पण्णो पमाणेण एगं होदि। लवणसमुद्दपमाणेण धादइसंडम्हि कीरमाणे छग्गुणो होदि । कालोदयसमुद्दो अट्ठावीसगुणो होदि । पोक्खरदीवो वीसुत्तरसदगुणो होदि । पोक्खरसमुद्दो चदुसदछण्णउदिगुणो होदि । एवं लवणसमुद्दजंबूदीव
इसकी अर्थात् जम्बूद्वीपके उक्त क्षेत्रफलको एक शलाका (१) होती है। इस प्रमाणसे लवणसमुद्रका माप करनेपर वह जम्बूद्वीपके क्षेत्रफलसे चौबीस गुणा होता है। कहा भी है
लवणसमुद्रकी बाह्यसूचीके वर्गको उसीकी आभ्यन्तर सूचीके वर्गके प्रमाणसे कम करनेपर जम्बूद्वीपके क्षेत्रफलप्रमाण उसके चौबीस खंड होते हैं ॥५॥
इस गाथाके अनुसार समस्त द्वीप और समुद्रोंकी पृथक् पृथक् क्षेत्रफल शलाकाएं ले आना चाहिए। उनमेंसे आठ द्वीप-समुद्रोंकी क्षेत्रफल शलाकाएं इस प्रकार होती हैं१, २४, १४४, ६७२, २८८०, ११९०४, ४८३८४, १९५०७२. . उदाहरण-(१) लवणसमुद्र-बाह्यसूची ५ लाख , आभ्यन्तरसूची १ लाख योजना
५-१% २५-१% २४. (२) धातकीखंडद्वीप-बाह्यसूची १३ लाख, आभ्यन्तरसूची ५ लाख योजन.
१३.-५ - १६९-२५ = १४४. (३) कालोदधि-बाह्यसूची २९ लास्त्र, आभ्यन्तरसूची १३ लाख योजन.
२९' - १३ = ८४१ - १६९ % ६७२ । इत्यादि । । लवणसमुद्रका उत्पन्न हुआ क्षेत्रफल अपने प्रमाणकी अपेक्षा एक होता है। लवणसमुद्र के प्रमाणसे धातकीखंडका प्रमाण करने पर धातकीखंड छह गुणा होता है। कालोदधिसमुद्र अठाईसगुणा है । पुष्करवरद्वीप एक सौ बीसगुणा है। पुष्करवरसमुद्र चारसौ छ्यानवे गुणा है। इस प्रकारसे लषणसमुद्रकी जम्बूद्वीपप्रमाणशलाकाओंसे द्वीप और सागरोसम्बन्धी
- १ बाहिरसूईवग्गो अभंतरसूइवगपरिहीणो। लक्खस्स कदिम्मि हिदे इग्छियदीवद्विखंडपमाणं ॥ ति.प. ५, १६. बाहिरसूईवग्गं अभंतरसूरवग्गपरिहीणं । जंबूवास विमते तत्तियमेनाणि खंडाणि । त्रि. सा. ३१६
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