Book Title: Shatkhandagama Pustak 04
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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(५४)
क्रम नं.
विषय
१३६ पांचों मनोयोगी और पांचों वचनयोगी सासादन सम्यग्दृष्टि जीवोंका काल
१३७ उक्त योगवाले सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंका नाना जीव और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल १३८ पांचों मनोयोगी और पांचों वचनयोगी चारों उपशामकों और चारों क्षपकोंका नाना जीव और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल १३९ एक समय सम्बन्धी विकल्पोंका गाथासूत्रद्वारा निरूपण १४० काययोगी मिथ्यादृष्टि जीवोंका नाना और एक जीव की अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल १४१ सासादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लेकर सयोगिकेवली गुणस्थान तक काययोगी जीवोंका काल
१४२ औदारिककाययोगी मिथ्यादृष्टि जीवोंका नाना और एक जीवसम्बन्धी जघन्य और उत्कृष्ट काल १४३ सासादन सम्यग्दृष्टि गुणस्थान से लेकर सयोगिकेवली गुणस्थान तक के औदारिककाययोगी जीवोंका काल १४४ औदारिकमिश्रकाययोगी मि. थ्यादृष्टि जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल १४५ औदारिकमिश्रकाययोगी सासा - दनसम्यग्दृष्टि जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ठ काल
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षट्खंडागमकी प्रस्तावना
पू. नं / क्रम नं.
४१२-४१३
४१३-४१४
४१४-४१५
४१५
४१५-४१७
४१७-४१८
४१८
४१७ १५० वैक्रियिकमिश्रकाययोगी मि
४१८-४१९
४२०-४२१
विषय
१४६ औदारिकामिश्रकाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंके नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कालका सोदाहरण निरूपण १४७ औदारिकमिश्रकाययोगी सयोगिकेवली नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कालका तत्सम्बन्धी अनेकों शंकाओंके समाधानपूर्वक निरूपण
१४८ वैकियियकाययोगी मिथ्यादृष्टि
प्र. नं.
और
असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा सोदाहरण
जघन्य और उत्कृष्ट काल ४२५-४२६ १४९ वैक्रियिककाययोगी सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंका पृथक् पृथक् काल निरूपण
१५३ आहारकमिश्रकाययोगी प्रमत्तसंयतोंका नाना और एक
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४२१-४२३
४२३-४२४
यादृष्टि और असंयत सम्यग्दृष्टि जीवोंके नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कालका सोदाहरण तदन्तर्गत शंका-समाधानपूर्वक निरूपण ४२६-४२९ १५१ वैक्रियिकमिश्रकाययोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंके नाना और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कालका सोदाहरण निरूपण १५२ आहारक काययोगी
प्रमत्त
संयतोंका नाना और एक जीवकी अपेक्षा सोदाहरण जघन्य और उत्कृष्ट काल ४३१-४३२
४२६
४२९-४३०
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