Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे
अथानुमानात्तत्कार्यतावसायः; तथाहि-अर्थालोककार्य विज्ञानं तदन्वयव्य तिरेकानुविधानात्, यद्यस्यान्वयव्यतिरेकावनुविधत्ते तत्तस्य कार्यम् यथाग्नेधूमः, अन्वयव्यतिरेकावनुविधत्त चालोकयोनिम् इति । न चात्रासिद्धो हेतुस्तत्सद्भावे सत्येवास्य भावादभावे चाभावात् । इत्याशङ्कयाह
तदन्वयव्यतिरेकानुविधानाभावाच्च केशोण्डुकज्ञानवन्नक्तञ्चरज्ञानवच्च ॥७॥
तदन्वयव्यतिरेकानुविधानाभावाच्च, न केवलं परिच्छेद्यत्वात्तयोस्तदकारणताऽपि तु ज्ञानस्य तदन्वयव्यतिरेकानुविधानाभावाच्च । नियमेन हि यद्यस्यान्वयव्यतिरेकावनुकरोति तत्तस्य कार्यम्
नैयायिक मान नहीं सकते, यदि इस तरह का उभय विषयको जाननेवाला ज्ञान स्वीकार करते हैं तो उसे एक पृथक जातिका प्रमाण मानना होगा ? ( क्योंकि नैयायिक द्वारा माने गये प्रत्यक्षादि चारों प्रमाणोंमेंसे एक भी प्रमाण उभय विषय वाला नहीं है सभी एक विषयवाले हैं) इस विषयपर आगे व्याप्ति जानकी सिद्धि करते समय विचार करेंगे।
शंका-पदार्थ ज्ञानके कारण है इस बातका निर्णय अनुमान प्रमाण द्वारा हो जाया करता है, वह अनुमान इसप्रकार है -ज्ञान पदार्थ एवं प्रकाश का कार्य है, क्योंकि इन दोनोंके साथ ज्ञानका अन्वय और व्यतिरेक पाया जाता है, जो जिसके साथ अन्वय व्यतिरेक रखता है वह उसका कार्य कहलाता है, जैसे अग्निका कार्य धूम है अतः वह अग्निके साथ अन्वय व्यतिरेक रखता है, ज्ञान पदार्थ और प्रकाशके साथ अन्वय व्यतिरेक रखता ही है अत: वह उनका कार्य है । यह अन्वय व्यतिरेक विधानक हेतु असिद्ध भी नहीं है, क्योंकि पदार्थ एवं प्रकाशके होनेपर ही ज्ञान होता है और न होनेपर नहीं होता? इस प्रकार की शंका होनेपर उसका निरसन करते हुए श्री माणिक्यनंदी आचार्य सूत्र का सृजन करते हैं
तदन्वय व्यतिरेकानुविधानाभावाच्च केशोण्डुक ज्ञानवन्नक्तचर ज्ञान वच्च ।७।
सूत्रार्थ-पदार्थ और प्रकाशके साथ ज्ञानका अन्वय व्यतिरेक नहीं पाया जाता, जैसे मच्छर के ज्ञानका तथा बिलाव आदि रात्रिमें विचरण करनेवाले प्राणियोंके ज्ञानका पदार्थ और प्रकाशके साथ अन्वय व्यतिरेक नहीं पाया जाता ।
पहले छठे सूत्रमें कहा था कि पदार्थ और प्रकाश ज्ञानके कारण नहीं हैं, क्योंकि वे ज्ञानद्वारा परिच्छेद्य हैं, अब इस सातवें सूत्रमें दूसरा और भी हेतु देते हैं कि ज्ञानके साथ पदार्थ और प्रकाशका अन्वय व्यतिरेक नहीं पाया जाता, इसलिये भी वे
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