Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 3 2 257 از له xururur سه ق 271 274 278 279 282 284 286 289 289 290 उद्वर्तना नरकों में पृथ्वी आदि का स्पर्शादि-निरूपण उद्देशाकार्शसंग्रहिणी माथाएँ [ तृतीय उद्देशक] नरकों का पुद्गलपरिणाम तिर्यम् अधिकार तिर्यग्योनिकों के भेद तिर्यच संबंधी द्वारनिरूपणा गंधांगप्ररूपण विमानों के विषय में प्रश्न तियंग्योनिक अधिकार का द्वितीय उद्देशक पृथ्वीकायिकों के विषय में विशेष जानकारी निर्लेप सम्बन्धी कथन प्रविशुद्ध-विशुद्ध लेश्या वाले अनगार का कथन सम्यग-मिथ्या क्रिया का एक साथ न होना मनुष्य का अधिकार मनुष्यों के भेद एकोरुक मनुष्यों के एकोरुक द्वीप का वर्णन एकोषक द्वीप के भूमिभागादि का वर्णन द्रुमादिवर्णन मत्तांगकल्पवृक्ष का वर्णन भृतांग , त्रुटितांग , , दीपशिखा , , ज्योतिशिखा , चित्रांग नामक कल्पवृक्ष चित्र रस मण्यंग गेहाकार , " अनग्नकल्पवृक्ष एकोरुक द्वीप के मनुष्यों का वर्णन एकोरुक-स्त्रियों का वर्णन एकोरुक द्वीप का प्रकीर्णक वर्णन एकोरुक मनुष्यों की स्थिति प्रादि प्रकर्मभूमिज-कर्मभूमिज मनुष्य प्रद्राईस अन्तरद्वीपिकों के कोष्ठक 292 293 294 294 295 296 297 297 298 299 300 300 304 321 322 [40] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org