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प्राकृत व्याकरण * orstoortorrorroresroorsroreoverrowrossroomeraorresteroconscessorderoine प्राप्त पूर्व 'ध' के स्थान पर 'दु' की प्राप्ति; ३-.२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में प्रकारान्त नपुंसक लिंग में संस्कृतीय-प्रत्यय 'सि' के स्थान पर 'म्' की प्राप्ति और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर प्राकृत रूप लई सिद्ध हो जाता है।
समिद्धी रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या १-४४ में की गई है।
कमलाया संस्कृत पंचना विभक्ति के एक वचन को रूप है। इसका प्राकृत रूप कमलाओ होता है। इसमें सूत्र-संख्या ३-८ से पंचमी विभक्ति के एक वचन में संस्कृतीय प्राप्त प्रत्यय 'सि' के स्थानीय रूप 'अस्याः ' के स्थान पर प्राकृत मे 'दोश्रो' प्रत्यय की प्राप्ति होकर प्राकृत रूप कमलाओ सिद्ध हो जाता है।
कमलस्य संस्कृत षष्ठयन्त एक वचन रूप है। इसका प्राकृत रूप कमलस्त होता है। इसमें सूत्रसंख्यो ३-१० से षष्ठी विभक्ति के एक वचन में संस्कृतीय प्राप्त प्रत्यय 'डस्' के स्थानीय रूप-'असमस्य' के स्थान पर प्राकृत में 'रस' प्रत्यय की प्राप्ति होकर प्राकृत रूप कमलस्स सिद्ध हो जाता है ॥ ३-२३ ।।
टोणा ॥३-२४॥ पुक्लीचे वर्तमानादिदुतः परस्स टो इत्यस्य णा भवति ॥ गिरिणा । गामणिणा । खलपुणा । तरुणा । दहिणा । मगुणा ।। ट इसि किम् । गिरी । तरू । दहिं । महूं ॥ पुक्लीन इत्येव । बुद्धी । घेणून कयं ॥ इदुत इत्येव । कमलेण ॥
अर्थ:-प्राकृतीय इकारान्त उकारान्त पुल्लिंग और नपुसक लिंग वाचक शब्दों में तृतीया विभक्ति के एक वचन में संस्कृतीय प्रत्यय 'टा' के स्थान पर प्राकृत में 'णा' प्रत्यय की प्राप्ति होती है। जैसे:--गिरिणा = गिरिणा अर्थात् पर्वत से; प्रामण्या =गामणिणा-आम के स्वामी से अथवा नाई से; खलप्वा-खलपुणा अथात झाडु देने वाले पुरुष से; तरुणा-तरुणा अर्थात् वृक्ष से; दधना-दहिणा अर्थात् दही से और मधुनामहुणा अर्थात् मधु से । इन उदाहरणों में सृतीया विभक्ति के एक वचन में प्राकृत में 'णा' प्रत्यय की प्राप्ति हुई है।
पहन:-तृतीया विभक्ति के एक वचन में प्राप्त संस्कृतीय प्रत्यय 'टा' के स्थान पर ही 'णा' होता है; ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तरः-तृतीया विभक्ति के एक यमन के अतिरिक्त किसी भी विमक्ति के किसी भी वचन के प्रत्ययों के स्थान पर 'णा' प्रत्यय की प्राप्ति नहीं होती है। ऐसा प्रदर्शित करने के लिये ही लिखा गया है कि 'टा' प्रत्यय के स्थान पर 'णो' प्रत्यय की प्राप्ति होती है । जैसे:-गिरिः गिरी अर्थात् पहाड तरु:तरू अर्थात् घृक्ष; दधि-दहिं अर्थात् दहो और मधु-महुँ अर्थात् मधु । इन उदाहरणों में 'णा' प्रत्यय का