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जोधपुर के राष्ट्रकूट ( राठोड़ ) नरेशों का कला-कौशल-प्रेम । मारवाड़ के नरेशों ने अनेक नए किले और महल बनवाए थे; और बहुत से पुराने किलों की मरम्मत करवा कर उनमें कई नवीन स्थान आदि तैयार करवाए थे। इनमें राव मालदेवजी का बनवाया अजमेर के किले में बीटली का कोट और चश्मे से किले में पानी चढ़ाने का मार्ग और ( राव अमरसिंहजी और ) महाराजा बखतसिंहजी के बनवाए नागोर के किले में के महल सराहनीय हैं । नागोर के किले का 'पाबहवामहल, दिल्ली या आगरे के शाही महलों से बहुत कुछ समानता रखता है।
महाराजा सरदारसिंहजी के समय बना महाराजा जसवंतसिंहजी (द्वितीय) का संगमरमर का देवल (Cenotaph ) विक्रम की बीसवीं शताब्दी का अत्युत्तम नमूना है । इसी प्रकार जोधपुर का जुबली कोर्ट्स (Jubilee Courts.) नाम का न्यायालय भी इसी शताब्दी का सुन्दर भवन है।
मारवाड़ के वर्तमान नरेश महाराजा उम्मैदसिंहजी साहब के समय बना विण्ढम अस्पताल, विलिङ्गडन बगीचा, उसमें का अजायबघर और पुस्तकालय का भवन और बालसमंद और मण्डोर के बगीचों को दिया गया नया दर्शनीय रूप भी बहुत ही सुन्दर है । इनके अलावा महाराजा साहब का छीतर नामक पहाड़ी पर का भव्य भवन भी, जो इस समय बन रहा है, जब तैयार हो जायगा, तब राजपूताने भर में एक अपूर्व महल होगा ।
मारवाड़ नरेशों के आश्रय के कारण यहां के कारीगर भी बड़े ही सिद्धहस्त होते थे। उनकी बनाई विशाल तोपें, और बंदूकें इस समय भी देखने वालों को आश्चर्य में डाल देती हैं।
इन सब के अलावा महाराजा मानसिंहजी के समय बने चित्रों का संग्रह भी अपूर्व है । यह इस समय राजकीय अजायबघर में रक्खा हुआ है । इसमें अन्य अनेक चित्रों के अलावा करीब ४६६ चित्र, जिनमें से प्रत्येक की लंबाई करीब ४ फुट |. और चौड़ाई करीब १ फुट के है ऐसे हैं, जिन पर समग्र रामायण, I दुर्गाचरित, शिवपुराण आदि हिन्दू-धर्म के ग्रन्थों की कथाऐं चित्रित हैं । इसके अलावा ७३४ चित्रों में जो करीब १ फुट लंबे और आध फुट चौड़े हैं, सूरजप्रकाश नामक इतिहास का कुछ अंश, भागवत के दशमस्कन्ध का पूर्व भाग, पंचतंत्र और ढोला मारवण की कथाएं अंकित हैं।
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