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महाराजा अजितसिंहजी पुत्र अभयसिंहजी जोधपुर-राज्य के स्वामी हुए, द्वितीय पुत्र बखतसिंहजी को नागोर का प्रान्त मिला और तृतीय पुत्र आनन्दसिंहजी ने फिर से ईडर का राज्य प्राप्त किया।
महाराज ने कई गाँव दान दिए थे और कई नवीन स्थान
१. ख्यातों से ज्ञात होता है कि स्वर्गवासी महाराजा अजितसिंहजी की दाह क्रिया हो जाने पर
उनके पुत्र आनन्दसिंहजी अपने छोटे भ्राता किशोरसिंह और रायसिंह को लेकर रायपुर की तरफ़ चले गए थे। परंतु 'अजितोदय' में इनका घाणेराव की तरफ जाना लिखा है । उसमें यह भी लिखा है कि जोधा मोहकमसिंह इनका अभिभावक होकर इनके साथ गया था । ( देखो सर्ग ३२, श्लो. २-३ ) इसके बाद वि० सं० १७८५ (ई० सन् १७२८) में आनन्दसिंहजी और रायसिंहजी ने जाकर ईडर पर अधिकार कर लिया। संभवतः
उस समय उक्त प्रान्त इनके बड़े भ्राता अभयसिंहजी के मनसब की जागीर में रहा होगा । किशोरसिंह अपने ननिहाल जयसलमेर चला गया था। 'अजितोदय' में लिखा है कि अांबेर नरेश जयसिंहजी ने इसे दिल्ली बुलवाकर बादशाह से टोड़े का अधिकार दिलवा दिया था ( देखो सर्ग ३२, श्लो० ५)। २. १ बासणी-दधवाडियां (जैतारण परगने का), २ बेराई (शेरगढ़ परगने का ), ३ घोडारण
४ सूरपालिया ( नागोर परगने के), ५ गोदेलावास (सोजत परगने का), ६ गूंदीसर ७ राजपुरा ८ ईटावा-सूरपुरा ( मेड़ता परगने के ), ६ मंडली, १० डोली नेरवा (जोधपुर परगने के), ११ कोडिया पटी जाखेड़ों की १२ गोरेडी (डीडवाने परगने के), १३ ढाढरवा १४ नोखडा १५ अंटिया समदड़ाऊ (फलोदी परगने के ), १६ झुडली (बीलाड़ा परगने का ) चारणों को; १७ बाघावसिया (बीलाड़ा परगने का), १८ साजी (पाली परगने का ), १६ पुरियों का खेड़ा (जसवंतपुरा परगने का), २० बेदावड़ी खुर्द ( मेड़ता परगने का ), २१ हाडेचा ( सांचोर परगने का ) स्वामियों, नाथों, भारतियों, पुरियों और गुसाँइयों को; २२ पुरोहितों का बास (सिवाना परगने का ), २३ भैसेरकोटवाली २४ तिंवरी २५ मांडियाई-खुर्द २६ भैंसेर-खुर्द २७ खेडापा २८ ढंढोरा २६ मोडी-बड़ी ३० बासणी मनणा (जोधपुर परगने के), ३१ खीचंद (फलोदी परगने का), ३२ टीबणिया (पचपदरा परगने का ), ३३ मादड़ी ( पाली परगने का), ३४ पंडित का वास (शेरगढ़ परगने का) पुरोहितों को; ३५ पालड़ी (नागोर परगने का), ३६ गैलावस ( जोधपुर परगने का ) ब्राह्मणों को; ३७ मुंदियाऊ ( नागोर परगने का) (द्वारका के ) श्री रणछोड़रायजी के मन्दिर को; ३८ मामावास ( सोजत परगने का) महादेव के मंदिर को; ३६ ऊदलियावास ( बीलाड़ा परगने का ) गंगा गुरु को ४० अंबाली ( नागोर परगने का ) समनशाह की दरगाह को; ४१ दागडा ( मेड़ता परगने का ) भाटों को; ४२ टीबडी (जैतारण परगने का ) रूपनारायणजी ठाकुरजी के
मन्दिर को और ४३ महेशपुरा ( जालोर परगने का ) रावलों को। ३. महाराज अजितसिंहजी के बनवाए हुए स्थान:
जोधपुर के किले में-फतैपौल और गोपालपौल के बीच का कोट, नई तैपौल (वि. सं. १७७४ में ), दौलतखाना, फतैहमहल, भोजनसाल, बीच का महल, ख्वाबगाह के महल, रंगसाल और
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