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मारवाड़ का इतिहास
महाराजा विजयसिंहजी के ७ पुत्र थे:
१ तैसिंहजी, २ भोमसिंहजी, ३ जालिमसिंह, ४ सरदारसिंह, ५ गुमानसिंहजी, ६ सांवतसिंह और ७ शेरसिंह ।
इन महाराज के समय जोधपुर नगर में निम्नलिखित स्थान बनवाए गए थे:
१ गंगश्यामजी का मन्दिर, २ बालकृष्णजी का मन्दिर, ३ कुंजबिहारीजी का मंदिर, ४ गुलाब सागर तालाव, ५ गिरदीकोट, ६ मायला बाग और ७ उसमें का झालरा । १. यह विजयसिंहजी के ज्येष्ठ पुत्र थे ! इनका जन्म वि० सं० १८०४ की सावन वदि ।
(ई० स० १७४७ की १४ जुलाई ) को हुआ था। परंतु वि० सं० १८३४ की कार्तिक सुदि ८ (ई. स. १७७७ की ८ नवम्बर) को महाराजा की विद्यमानता में ही, निस्सन्तानावस्था में, इनका स्वर्गवास हो गया। इसी लिये इनके छोटे भ्राता भोमसिंहजी के पुत्र
भीमसिंहजी इनकी गोद रक्खे गए थे । जोधपुर नगर का फ़तैसागर नामक तालाब इन्हीं के नाम पर बनवाया गया था । २. इनका जन्म वि० सं० १८०६ की द्वितीय भादों सुदि १० ( ई० स० १७४६ की १०
सितम्बर) को और इनकी मृत्यु, चेचक की बीमारी से, वि० सं० १८२६ की वैशाख वदि
१३ (ई० स० १७६६ की ४ मई ) को हुई थी। भीमसिंहजी इन्हीं के पुत्र थे। ३. इनको महाराज ने पहले नांवा और फिर (वि० सं० १८४८ के बैशाखई. स. १७६१ की
मई में ) गोड़वाड़ जागीर में दिया था। महाराज की इच्छा इन्हीं को अपना उत्तराधिकारी
बनाने की थी। वि० सं० १८५५ ( ई० स० १७६८) में इनका स्वर्गवास हुआ। ४. यह १७ वर्ष की आयु में ही चेचक से मर गए थे। ५. इनका जन्म वि० सं० १८१८ की कार्तिक सुदि ८ (ई० स० १७६१ की ५ नवम्बर)
को हुआ था और वि० सं० १८४८ की आश्विन वदि १३ (ई० स० १७६१ की २६ सितम्बर ) को इनका स्वर्गवास हो गया। इन्हीं के पुत्र मानसिंहजी भीमसिंहजी के बाद
जोधपुर की गद्दी पर बैठे थे। ६. ख्यातों से ज्ञात होता है कि गुलाबराय ने वि० सं० १८४७ (ई० स० १७६० ) में
महाराज से कहकर इन्हीं को युवराज का पद दिलवाया था। इनका देहान्त वि० सं०
१८५३ (ई० स० १७६६ ) में हुआ । ७. यह तालाब वि० सं० १८४५ में बनकर तैयार हुआ था। ८. यही आजकल सरदार मारकेट कहाता है। ६. इनमें के पहिले दो मन्दिरों के अलावा सब स्थान गुलाबराय ने बनवाए थे । पहले मालरे
के स्थान पर एक बावली थी । वि० सं० १८३३ में उसी में परिवर्तन कर मालरा बनाया गया था । उपर्युक्त स्थानों के अलावा फ़तैसागर, किले में का मुरलीमनोहरजी का मन्दिर आदि अन्य अनेक स्थान भी इनके समय बनवाए गए थे।
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