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मारवाड़ का इतिहास
महाराजा भीमसिंहजी ने करीब १० वर्ष राज्य किया था । यह महाराजा दोनी, वीर और न्याय-प्रिय थे । फिर भी कुछ लोगों के बहकाने से इनका बरताव अपने बान्धवों के साथ बहुत कड़ा रहा था ।
यद्यपि इनके कोई पुत्र नहीं था, तथापि इनके स्वर्गवास के बाद कुछ सरदारों ने इनकी रानी के गर्भवती होने की घोषणा करदी और उसी गर्भ से बादमें धौंकलसिंह का जन्म होना प्रकट किया गया । परन्तु अन्त में यह षड्यंत्र असफल हुआ ।
मंडोर में का महाराजा अजितसिंहजी पर का देवल (स्मारक-भवन ), जो अधूरा रह गया था, इन्हीं के समय समाप्त हुआ था।
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१. महाराजा भीमसिंहजी ने, वि० सं० १८५१ (ई० स० १७६४ ) में, (जोधपुर परगने
का ) बधडा नामक गांव एक मन्दिर के निर्वाहार्थ दिया था।
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