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सवाई राजा शूरसिंहजी वि० सं० १६७६ की भादों सुदी ८ (ई० सन् १६१९ की १८ सितम्बर) को वहीं दक्षिण में, महकर के थाने में, सवाई राजा शूरसिंहजी का स्वर्गवास हो गया । ___ यह महाराजा बड़े ही प्रतापी, बुद्धिमान् और दाता थे । राव मालदेवजी के बाद इन्होंने ही मारवाड़ राज्य की वास्तविक उन्नति की । इनके शासन में मारवाड़ के सिवाय, ५ परगने गुजरात के, १ मालवे का और १ दक्षिण का भी था । ये परगने इन्हें बादशाह की तरफ़ से मनसब में मिले थे । इनका अधिक समय गुजरात और दक्षिण के युद्धों में ही व्यतीत हुआ; और वहाँ पर इन्होंने समय-समय पर वीरता के अद्भुत कार्य भी कर दिखाए।
पहले लिखा जा चुका है कि इनके समय इनके प्रधान मन्त्री भाटी गोविन्ददास ने राज्य का सारा प्रबन्ध बदल कर उस समय की प्रचलित शाही शैली के अनुसार कर दिया था । वही प्रबन्ध आज से करीब ५० वर्ष पूर्व तक चला आता था। परन्तु भारत सरकार के संबन्ध से आजकल उसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन करके उसे नवीन रूप दे दिया गया है।
१. 'तुजुकजहांगीरी' में जहाँगीर ने लिखा है कि हि० स० १०२८ में दक्षिण से राजा शूरसिंह
की मृत्यु का समाचार मिला । यह उस राव मालदेव का पोता था, जो हिंदुस्तान के प्रतिष्ठित ज़मींदारों में से था । राना की बराबरी करने वाला ज़मींदार वही था। उसने एक लड़ाई में राना पर भी विजय पाई थी । राजा शूरसिंह ने, मेरे पिता अकबर का और मेरे कृपापात्र होने से, बड़े दरजे और मनसब को प्राप्त किया था। उसका देश और राज्य
उसके बाप और दादा के देश और राज्य से बढ़ गया था । ( देखो पृ० २८०)। 'गुणरूपक' में लिखा है कि महाराजा शूरसिंहजी २४ वर्ष राज्य कर ४६ वर्ष की अवस्था में, वि० सं० १६७६ की भादों सुदी में, महकर में स्वर्ग को सिधारे । इनके पीछे तीन रानियां दक्षिण में और एक जोधपुर में सती हुई ( देखो पृ. ३१)।
२. कहते हैं कि सवाई राजा शूरसिंहजी ने निम्नलिखित गांव दान दिए थे:
१ नापावास २ रैहनडी ३ बीजलियावास ( सोजत परगने के ), ४ सिंगला ( जैतारण परगने का ), ५ गैमावास ६ उंचियारडा-कलां ७ बछवास ८ भीलावास ( मेड़ता परगने के ), ६ बसी (पाली परगने का ), १० तिगरिया ११ बेह १२ लोलासणी १३ छली १४ छींडिया ( जोधपुर परगने के), १५ रणसीसर (डीडवाने परगने का ), १६ हरलायां (फलोदी परगने का ) चारणों को; १७ हडबू बासनी ( बासनी व्यासों की ) ( मेड़ता परगने का ), १८ गैलावसिया ( जोधपुर परगने का ) ब्राह्मणों को; १६ मोगास ( मेड़ता परगने का ) भाटों को और २० बीगवी ( जोधपुर परगने का ) पुरोहितों को ।
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