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महाराजा अजितसिंहजी प्रातःकाल होने पर इस घटना की सूचना शाहजादे अकबर को मिली, तब वह बहुत घबराया । उस समय उसके पास केवल ३५० सवार ही रह गए थे । इसलिये वह बाप के क्रोध से बचने के लिये अपने कुटुम्ब और माल-असबाब को लेकर १० कोस के फासले पर ठहरे हुए राठोड़ों की शरण में चला गया । यह घटना वि० सं० १७३७ की माघ सुदी ७ ( ई० सन् १६८१ की १६ जनवरी ) की है । उसकी यह दशा देख राठोड़ भी असली भेद को समझ गए। इसी से दूसरे दिन रात्रि में दुर्गादास ने उसके पास पहुँच उसे अपनी शरण में ले लिया । परन्तु इस समय तक मौका हाथ से निकल चुका था, अतः वे उसको साथ लेकर जालोर की तरफ चले गए ।
इस घटना से बादशाही शिविर में बड़ा आनन्द मनाया गया । इसके बाद बादशाह शाहबुद्दीनखाँ, शाह आलम, कुलीचखाँ, इन्द्रसिंह आदि को बागियों का पीछा करने की आज्ञा देकर स्वयं अजमेर लौट गयो ।
वी० ए० स्मिथ ने अपनी 'ऑक्सफ़र्ड हिस्ट्री ऑफ इन्डिया' में लिखा है कि स्वयं बादशाह ने राजपूतों को धोका देने के लिये अकबर के नाम का पत्र लिख कर उनके हाथ में पहुँचवा दिया था। इसी से वे लोग शाहज़ादे को बाप से मिला हुआ समझ उससे अलग हो गए। (देखो पृ० ४४१)।
'हिस्ट्री ऑफ़ औरंगजेब' से भी इसकी पुष्टि होती है । उसमें लिखा है कि बादशाह ने उस पत्र में अकबर को लिखा था कि मैं तेरे राठोड़ों को धोका देकर फसा लाने से बहुत प्रसन्न हूँ। कल प्रातःकाल के युद्ध में मैं आगे से उन पर आक्रमण करूँगा और तू पीछे से हमला कर देना । इससे वे आसानी से नष्ट हो जायेंगे। जब यह पत्र दुर्गादास को मिला, तब वह इसके बाबत अपना संदेह मिटाने को अकबर के शिविर में पहुँचा । परन्तु उस समय अर्द्धरात्रि से भी अधिक समय बीत चुका था । अतः अकबर गहरी नींद में सोया हुआ था । ऐसे समय यद्यपि दुर्गादास ने उसके अंग-रक्षकों से उसे जगाने को कहा, तथापि ऐसा करने की आज्ञा न होने के कारण उन्होंने इस बात के मानने से इनकार कर दिया। इससे दुर्गादास क्रुद्ध होकर लौट गया । इसके बाद उसने तहन्वरखाँ की तलाश की । परन्तु जब उसके भी शाही सेना में चले जाने का समाचार मिला, तब राठोड़ों का संदेह दृढ़ हो गया, और वे प्रातःकाल होने के ३ घन्टे पूर्व ही अकबर के शिविर को लूटकर मारवाड़ की तरफ़ लौट गए। यह देख अन्य शाही सेना-नायक भी बादशाह से जा मिले। (देखो भा० ३, पृ० ४१४-४१५)।
१. अजितोदय, सर्ग ११, श्लो० १२-१६ । २. मासिरेआलमगीरी, पृ० २०३ । 'हिस्ट्री ऑफ़ औरंगजेब' में लिखा है कि बादशाह
औरंगज़ेब ने शाहज़ादे मोअज्जम को सेना देकर अकबर को पकड़ने के लिये मारवाड़
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