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राव रणमल्लजी पर चढ़ाई की, और वहां पर अधिकार कर उसे महाराणा के राज्य में मिला दिया । इससे महाराणा इनसे और भी प्रसन्न हो गए। कुछ दिन बाद इन्होंने महाराणा लाखाजी के ज्येष्ठ पुत्र चूंडा के आग्रह से अपनी बहन हंसाबाई का विवाह लाखाजी के साथ कर दिया । परन्तु उस समय महाराना के ज्येष्ठ पुत्र चूंडा से यह प्रतिज्ञा ले ली गई कि यदि इस विवाह से राणाजी के पुत्र होगा, तो राज्य का मालिक वही समझा जायगा । इसके क़रीब एक वर्ष बाद ही हंसाबाई के गर्भ से मोकलजी का जन्म हुआ । ___ रणमल्लजी के उद्योग से ही मेवाड़ की सेना ने अनेक बार मुसलमानों पर विजय पाई थी, इसीसे राणाजी उनका अत्यधिक सम्मान किया करते थे।
पहले लिख चुके हैं कि हंसाबाई के विवाह के समय ही उनके गर्भ से उत्पन्न होनेवाले पुत्र को मेवाड़ का राज्याधिकार दिया जाना निश्चित हो चुका था, इसलिये वि० सं० १४७७ ( ई० सन् १४२०) के करीब राणा लाखाजी की मृत्यु हो जाने से रणमल्लजी के भानजे राणा मोकलजी मेवाड़ की गद्दी पर बैठे । उस समय उनकी अवस्था दस-यारह वर्ष की थी। इससे कुछ दिनों तक मेवाड़ राज्य का सारा प्रबन्ध
१. श्रीयुत हरविलास सारडाने रणमल्लजी का, ई० सन् १३६७ और १४०६ (वि० सं०
१४५४ और १४६६ ) के बीच, राणा मोकलजी के बाल्यकाल में, अजमेर विजय करना लिखा है (अजमेर पृ० १५७) । परन्तु राणा लाखाजी के वि० सं० १४७५ (ई० सन् १४१८) के कोट सोलं कियान वाले लेख के मिलने से मोकलजी के पिता गणा लाखाजी का वि० सं० १४७५ (ई० सन् १४१८) तक जीवित रहना सिद्ध
होता है ( जर्नल एशियाटिक सोसाइटी बंगाल, भाग १२, पृ० ११५ )। २. इस घटना के समय ( मारवाड़ के ) राव चूंडाजी विद्यमान थे । ऐसी हालत में कुछ
लेखकों का रणमल्लजी को ( उस समय ) राव लिखना भूल है । मुहणोत नैणसी ने और कर्नल टॉड ने एक स्थान पर महाराणा लाखाजी का विवाह रणमल्लजी की कन्या से होना लिखा है ( देखो, क्रमशः हस्तलिखित ' नैणसी की ख्यात', पृ० १६३, और ऐनाल्स ऐंड ऐन्टिक्विटीज़ ऑफ़ राजस्थान, भा० १, पृ० ३२३-३२५)। रतनू रामनाथ ने अपने 'इतिहास राजस्थान' (पृ. ३४ ) में, सूर्यमल्ल ने अपने 'वंश-भास्कर' ( भा० ४, पृ० २६११ ) में
और 'तोहफए राजस्थान' (पृ० ६१ ) में भी यही बात लिखी है । परन्तु यह ठीक नहीं है । कर्नल टॉड ने दूसरे स्थान पर हंसाबाई को रणमल्लजी की बहन लिखा है । ऐनाल्स ऐंड ऐन्टिक्विटीज़ ऑफ राजस्थान, भा॰ २, पृ० ६४५ ) । यही ठीक प्रतीत होता है ।
___ 'इतिहास राजस्थान' (पृ० ३५ ) में हंसाबाई का महाराणा लाखाजी के साथ सती होना लिखा है । यह भी गलत है ।
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