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मारवाड़ का इतिहास
राव रणमल्लजी के २६ पुत्र थे । १ अखैराज, २ जोधाजी, ३ कांधेल, ४ चांपा, ५ लाखा, ६ भाखरसी, ७ डूंगरसी, ८ जैतमाल, १ मंडला, १० पाता, ११ रूपा, १२ करण, १३ सांडा, १४ मांडल, १५ ऊदा, १६ वैरा, १७ हापा, १८ अडवाल, १६ जगमाल, २० नाथा, २१ करमचन्द, २२ सींधा, २३ तेजसी, २४ सायर, २५ सगता और २६ गोयन्दै ।
१. इनकी मुख्य जागीर बगड़ी है । २. इसने अपने भतीजे राव बीकाजी को बीकानेर का नया राज्य स्थापन करने में
सहायता दी थी। ३. मंडोर से १५ कोस पूर्व का कापरड़ा नामक गांव इसी ने बसाया था । राव रणमलजी के
मारे जाने के समय यह भी चित्तौड़ में था। इसके बाद वहां से मंडोर होता हुआ काहूनी नामक गांव में पहुँच, जोधाजी के साथ हो लिया । इसने उन्हें मंडोर पर अधिकार करने और चित्तौड़ पर सफल आक्रमण करने में भी सहायता दी थी। वि० सं० १५१६ (ई० सन् १४५६ ) में गोडवाड़-प्रान्त के सींधल, बालिया और सोनगरों ने मिल कर इसकी गाएँ पकड़ ली । परन्तु इस ने उनके सम्मिलित दल को हराकर उन्हें वापस छुड़वा लिया । वि० सं० १५२२ (ई० सन् १४६५ ) में इस ने, गुजरात होकर दिल्ली जाते हुए, मांडू के. सुलतान महमूद खिलजी से, पूनागर की
पहाड़ी के पास, बहादुरी से युद्ध किया था । वि० सं० १५३६ (ई. सन् १४७६ ) में महाराणा रायसिंहजी की सहायता से सींधल राजपूतों ने इस पर चढ़ाई की । मणियारी के पास युद्ध होने पर उसी में यह मारा गया । ४. ख्यातों में लिखा है कि इसके पुत्र बाला ने जोधाजी की मेवाड़ की चढ़ाई के समय वहां
के सेठ पदमशाह को पकड़ने में भाग लिया था। वहां से लौट कर जब जोधाजी खैरवा नामक गांव में पहुंचे, तब उस सेठने बहुतसा द्रव्य भेट कर रिहाई हासिल कर ली । मेठ से मिले हुए द्रव्य से ही जोधपुर का किला बनना प्रारम्भ हुआ था। इसी से जोधाजी ने उसी के पास सेठ के नाम पर पदमसर नामक एक तालाब बनवा दिया। चांपा के मारे जाने के समय भी यह उसके साथ था, और अन्त में इसी ने सीधलों को भगा कर
अपने चचा का बदला लिया। ५. इसने भी अपने भतीजे बीकाजी को बीकानेर का नया राज्य स्थापन करने में सहायता दी थी । ६. रणमलजी के मारे जाने पर जब मेवाड़ की सेना ने जोधाजी का पीछा किया, तब इसने
कपासण के मुकाम पर उसका सामना कर उसे रोका । इसी युद्ध में पायल होने से
इसकी मृत्यु हुई। ७. इसीके वंश में राठोड़-वीर दुर्गादास उत्पन्न हुआ था। ८. यह बाल्यावस्था में ही मर गया था। कहीं-कहीं इसके भाई सायर और सगता का भी
बाल्यावस्था में मरना लिखा है।
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