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राव गाँगाजी वि० सं० १५८८ की ज्येष्ठ सुंदी ५ ( ई० सन् १५३१ की २१ मई ) को जिस समय राव गाँगाजी महल की एक खिड़की के पास बैठ शीतल वायु का सेवन कर रहे थे, उस समय कुछ तो अफीम के सेवन के प्रभाव से और कुछ गरमी की मौसम में शीतल वायु के लगने से उन्हें झपकी आ गई, और उसी में वे खिड़की से नीचे गिर पड़े' । इससे उसी समय इनका देहान्त हो गया।
जोधपुर शहर का 'गाँगेलाव' तालाब और 'गाँगा की बावड़ी'' इन्होंने ही बनवाई थी। इनकी रानी पद्मावती सिरोही के राव जगमाल की कन्या थी। उसी के कहने से राव गाँगाजी ने ( वि० सं० १५७२ ई० सन् १५१५ में ) विवाह के समय अपने वसुर से श्यामजी की मूर्ति माँग ली थी। यही मूर्ति जोधपुर में, गाँगाजी द्वारा लाई जाने के कारण, गँगश्याम के नाम से प्रसिद्ध हुई।
राव गाँगाजी बड़े वीर और दानी थे। कहते हैं, इन्होंने कई गाँव दान किए थे । इनके ६ पुत्र थे-१ मालदेव, २ वैरसल, ३ मानसिंह, ४ किशनसिंह, ५ सादूल और ६ कान्ह ।
१. ख्यातों में इनका मालदेवजी के धक्के स गिरना भी लिखा मिलता है। २. राव गाँगाजी की रानी नानकदेवी ने जोधपुर में अचलेश्वर महादेव का मन्दिर बनवाया
था। यह बावड़ी इसी के पास है। ३. सिरोही के इतिहास (पृ० २०५) में लिखा है कि इसी पद्मावती ने जोधपुर का पदमलसर
तालाव बनवाया था। परन्तु वास्तव में यह तालाव मेवाड़ के सेठ पद्मचन्द के रुपये से बना था। जिसे राव जोधाजी ने मेवाड़ की चढ़ाई के समय पकड़ा था। सम्भव है, इस रानीने इसके घाट आदि बनवाए हों। परन्तु किसी-किसी ख्यात में इसका महाराणा साँगाजी (प्रथम) की कन्या पद्मावती-द्वारा बनवाया जाना भी लिखा मिलता है ।
सम्भव है, उसने भी इसमें कुछ सुधार किया हो। ४. कहते हैं कि इस मूर्ति के साथ ही इसके पुजारी भी आए थे। ये सेवग के नाम से प्रसिद्ध हैं।
पहले पहल इस मूर्ति की स्थापना जोधपुर के किले में की गई थी। परन्तु महाराजा जसवन्तसिंहजी ( प्रथम ) की मृत्यु के बाद जोधपुर पर औरंगजेब का अधिकार हो जाने से, उक्त सेवगोंने इसे अपने घर में छिपा रक्खा था । परन्तु महाराजा अजित सिंहजी ने, जोधपुर का शासन हाथ में लेते ही सेवगों के घरों के पास ही एक साथ ५ मन्दिर बनवा कर बीच के मुख्य मन्दिर में इस मूर्ति को स्थापना की । इसके बाद महाराजा विजयसिंहजी ने वहीं पर की शाही ज़माने की बनी मसजिद को गिरवाकर उसी के स्थान पर ( वि० सं० १८१८ई स० १७६० में ) एक विशाल मन्दिर बनवाया और उसी में इस मूर्ति को स्थापित किया। ५. १ चारवास २ तालका ३ धूडासणी (सोजत परगने के), ४ खाराबेरा ( जो पहले जोधाजी ने दिया था), ५ घेवड़ा ६ सुराणी अाधी, ७ घटियाला (जोधपुर परगने के) पुरोहितों को,
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