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राव कनपालजी इनके १४ पुत्रं थेः-१ कनपाल, २ सूंडा, ३ केलण, ४ लाखणसी, ५ यांथी, ६ डांगी, ७ रांदा, जंझण, १ राजा, १० हथंडिया ( हसत ), ११ राणा, १२ मूहर्णे, १३ बूला और १४ बीकम ।
५. राव कनपालजी
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की
सीमा नियत
यह राव रायपालजी के ज्येष्ठ पुत्र थे और उनके बाद उनके उत्तराधिकारी हुए । उस समय महेवे का सारा प्रान्त इनके अधिकार में होने से इनके राज्य की और जैसलमेर राज्य की सीमाऐं मिली हुई थीं । इसीसे बहुधा जैसलमेर वाले इनके राज्य में घुसकर लूट-खसोट किया करते थे । परन्तु इनकी आज्ञा से इनके बड़े पुत्र भीम ने, उन्हें दण्ड देकर, काक नदी को खेड़ और जैसलमेर राज्य के बीच कर दिया । यद्यपि इससे एक बार तो जैसलमेर वाले शान्त हो गए, तथापि कुछ काल बाद मुसलमानों की मदद मिल जाने से वे फिर उपद्रव करने लगे । यह देख भीम ने फिर दुबारा उन पर चढ़ाई की । परन्तु इस बार के युद्ध में भीम के मारे जाने से भाटी और भी उच्छृंखल हो उठे और वे खेड़ राज्य के भीतरी प्रान्तों तक में घुसकर लूट मार करने लगे । उनके इस प्रकार बढ़ते हुए उपद्रव को देख राव कनपालजी को स्वयं उन पर चढ़ाई करनी पड़ी । परन्तु मार्ग में अचानक भाटियों और मुसल - मानों की सम्मिलित सेना से घिर जाने के कारण यह, वीरता से शत्रु का सामना
कर,
मारे गए ।
इनके ३ पुत्र थे :- १ भीम, २ जालणसी, और ३ विजपाल ।
१. इन १४ पुत्रों में कहीं जूंझण और राणा के नाम लिखे मिलते हैं तो कहीं उनके स्थान पर छाड़ और मोपा के नाम पाए जाते हैं ।
२. मुहणोत ओसवाल ( वैश्य ) भी इसी मूहा की सन्तान हैं ।
३. ख्यातों के अनुसार उस समय इस राज्य में ६८४ गाँव थे । ४. इस विषय का यह मोरटा प्रसिद्ध है:--
आधी धरती भीम, आधी लोदर धणी । काक नदी छै सीम, राठोडाँ ने भाटियाँ ॥
( लोदरवा जैसलमेर के भाटियों की पहली राजधानी थी। )
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