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राव चूडाजी राव चूंडाजी सन्मुख रण में वीरगति को प्राप्त होगए । यह घटना वि० सं० १४८० की चैत्र सुदी ३ ( ई० सन् १४२३ की १५ मार्च ) की हैं' ।
राव चूंडाजी का, वि० सं० १४७८ का, एक ताम्रपत्र बडली ( जोधपुर परगने ) से मिला है । उसमें उक्त गांव के दान का उल्लेख है
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१. कर्नल टॉड ने चूडाजी का वि० सं० १४३८ ( ई० सन् १३८२ ) में गद्दी बैठना और वि० सं० १४६५ ( ई० सन् १४१६ ) में मारा जाना लिखा है। उसने यह भी लिखा है कि बादशाह खिजरखाँ ने भी, जो उस समय मुलतान में था, भाटियों की सहायता की थी (ऐनाल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज़ ऑफ राजस्थान, भा० २, पृ० ६४५ और ७३३ ) । परन्तु यह ठीक नहीं है । खिजरखाँ वि० सं० १४७१ ( ई० सन् १४१४=हि० सन् ८१७) में दिल्ली के तख्त पर बैठा था, और वि० सं० १४७८ ( ई० सन् १४२१ = हि० सन् ८२४ ) में मरा था; ऐसी हालत में वि० सं० १४६५ ( ई० सन् १४०८ ) में ख़िजरख़ाँ की मदद से चंडाजी का मारा जाना संभव नहीं हो सकता ।
२. इस ताम्रपत्र की लिखावट महाजनी होने से इसमें मात्राओं आदि का बहुत कम प्रयोग किया गया है । परन्तु यथास्थान मात्राएँ आदि लगा देने से उसमें का लेख इस प्रकार पढ़ा जाता है:
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१. श्री राव चंडाजी रो दत बडली गांव । २. प्रोयत सादा नै दीधो संवत् १४ व३. रस आठतरो काती सुद पूनम रै 1 ४. दिन वार सूरज पुष्करजी माथे । ५. पुण्यार्थ की दो महाराज चंडाजी । ६. दुवो तेवीस हज़ार वीगा जमीनी-
७. म सीम समेत ईश्वर प्रीतये
८. गांव दीघो हिंदू नै गऊ मुसलमा [न नै ]
६. सूर माताजी चामुंडाजी सूं बेमुख | १०. आल-औलाद अणारी कोई गोती पोतो । ११. ईश्वर सूँ बेमुख प्रोयत सादानै:
१२.
( उसमें का पीछे का लेख इस प्रकार है ) १३. राव चंडाजी रै भंडारी शिवचंद |
३. कहते हैं, राव चुंडाजी ने कई गांव दान किए थे:
१ भोर- पुरोहितां, २ बड़ली, ३ चावंडां, ४
बाड़िया, ५ भैंसेर- चावंडां, ६ भाटेलाई - पुरोहितों का बास, ७ हिंगोला ( जोधपुर परगने के ) पुरोहितों को और ८ भांडू
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