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मारवाड़ का इतिहास
सीहाजी के स्वर्गवास का, वि० सं० १३३० ( ई० स० १२७३ ) का, एक लेख बीठू ( मारवाड़ का एक गाँव, जो पाली से ६ कोस के अन्तर पर है ) से मिली है,
इस लेख से प्रकट होता है कि वि० सं० १३३० की कार्तिक वदि १२ सोमवार ( ई० स० १२७३ की १ अक्टूबर) को करीब ८० वर्ष की अवस्था में सीहाजी
१. उक्त लेख में लिखा है:
(१) “ओं ॥ साँ (सं) वछ (त्) १३३० (२) कार्तिक वदि १२ सोम
(३) वारे रठड़ा श्री सेत(४) कवर सुतु ( त ) सीहो दे
(५) वलोके गतः सो [ लं- ]
(६) क पारवतिः (ती) तस्यार्थे देव
(७) ली स्थ (स्था ) पिना (ता) क (का) रायि (पि) व (ता) सु (शु) भं भवतुः (तु) । (इण्डियन ऐरिटक्वेरी, भा० ४०, पृ० १४१ )
इस लेख के ऊपर घोड़े पर चढ़ी सीहाजी की मूर्ति बनी है, और सामने उनकी रानी हाथ जोड़े खड़ी है। घोड़े के पैरों के नीचे एक मुसलमान पड़ा है ।
हमारे मतानुसार इस लेख में इतनी बातें विचारणीय हैं:--
१ – सीहाजी के मस्तक पर पगड़ी या साड़ा नहीं है । उनके घुँघराले बाल आगे से साफ़ दिखाई देते हैं ।
२ - सीहाजी की मूर्ति का कमर तक का भाग खुला है ( परन्तु रानी शायद कंचुकी पहने हुए है। ) दोनों के कन्धों पर से केवल एक-एक दुपड्डा लटकता हुआ बना है ।
३ - सीहाजी के कमर के नीचे के भाग में कवच और पैरों में घुटनों तक के बूट ( झाडोले ) बने हैं । ( रानी के पहनने को चुन्नतदार धोती है और उसकी नाभि से पैरों तक धोती की चुन्नत या करधनी की लम्बी लड़ी लटकती है ! )
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४ - सीहाजी की शकल और दाढ़ी मुसलमानी ढङ्ग की है।
५ — इस लेख के सम्वत् १३३० के बीच के दोनों अ ( ३३ ) आधुनिक शैली के प्रतीत होते हैं ।
६ - लेख में सीहाजी को 'सेत कँवर सुत' लिखा है । ( इसलिये या तो 'सेतराम' के लिये ही 'सेतकँवर' शब्द का प्रयोग किया गया है या इससे उसका छोटा पुत्र होना प्रकट होता है। पूरब में आजकल मी राजाओं और ज़मींदारों के छोटे पुत्र या उनकी सन्तान अपने नामों के आगे कुँवर की उपाधि लगाती है। )
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