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मारवाड़ के राठोड़ नरेश वि० सं० १६५० ( ई० स० १५६३ ) का बीकानेर के महाराजा रायसिंहजी का
इस घटना से भी जनरल कनिङ्गहम के मत की पुष्टि होती है । परन्तु मारवाड़ की सारा ही ख्यातों में सीहाजी के पुत्र प्रासथानजी का जन्म उनके मारवाड़ में आने के बाद होना लिखा मिलता है । यदि यह सत्य हो तो सीहाजी का मारवाड़ में वि० सं० १२६८ ( ई० स० १२१२ ) के करीब आना ही मानना होगा; क्योंकि हम आसथानजी का जन्म वि० सं० १२६६ ( ई० स० १२१२ ) के करीब मान लेने को बाध्य हैं। इसके बिना मारवाड़ के राठोड़ों का सारा का सारा प्रारम्भिक इतिहास गड़बड़ हो जाता है । हमारे मतानुसार जयचन्द्र के पुत्र हरिश्चन्द्र से लेकर राव चुँडाजी तक के नरेशों के जन्म संवत् इस प्रकार मानने होंगे:---
हरिश्चन्द्र
[ जन्म वि० सं० १२३२ - जयचन्द्र के ताम्रपत्रों के आधार पर ]
सतराम [ जम्म वि० सं० १२५० ]
रावल मल्लिनाथ [ जन्म वि० सं० १४१५ ]
जयचन्द्र I
वरदायीसेन
[ या तो यह हरिश्चन्द्र का ही उपनाम होगा या उसका छोटा भाई होगा । पिछली हालत में इसका जन्म वि० सं० १२३३ में माना जा सकता है । ]
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राव सीहा [ जन्म वि० सं० १२५१]
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राव ग्रासथान [ जन्म वि० सं० १२६६ ]
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१२८७ ]
१३०५ ]
राव कनपाल [ जन्म वि० सं० १३२३]
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राव जालासी [ जन्म वि० सं०
राव
राव रायपाल [ जन्म वि० सं०
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धूहड़ [ जन्म वि० सं०
1
राव
राव
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छाडा [ जन्म वि० सं०
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राव कान्हड [ जन्म वि० सं० १३६५ ] राव त्रिभुवनसी [ जन्म वि० सं० १३६६ ]
[ जन्म वि० सं०
तीडा [ जन्म वि० सं०
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१३४१ ]
२३५६ ]
१३७७]
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वीरम [ जन्म वि० सं०
1
राव सलखा
१३६७ ]
1
राव
१४१६ ]
राव चूँडा [ जन्म वि० सं० १४३४ख्यातों के आधार पर ]
( सम्भव है, बीच के सम्वतों एक-दो वर्षों का अन्तर हो । सीहाजी के मारवाड़ की तरफ प्राने का कारण बदायूँ के शासक शम्सुद्दीन का दबाव ही प्रतीत होता है । )
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