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मारवाड़ का इतिहास
इस संग्रह की प्रशंसा इसको देखने वाले बड़े-बड़े विद्वानों ने की है । महाराजा मानसिंहजी, जिनके समय में यह संग्रह तैयार करवाया गया था, अन्य अनेक कलाओं के भी मर्मज्ञ थे। इसी से उनके विषय में यह दोहा प्रसिद्ध है:
जोध बसायो जोधपुर, ब्रज कीनो व्रजपाल । लखनेऊ काशी दिली, मान कियो नेपाल ॥
अर्थात्-राव जोधाजी ने जोधपुर बसाया, महाराजा विजयसिंहजी ने वैष्णवमत में दृढ भक्ति होने से उसे व्रज बनादिया । ( उनके समय यहां पर वल्लभ-संप्रदाय के अनेक मन्दिर बन गए थे।) परन्तु महाराजा मानसिंहजी ने उसे लखनऊ, काशी, दिल्ली, और नेपाल बनादिया । (उनके समय उनकी गुणग्राहकता के कारण यहां पर बहुत से कत्थक, संस्कृत के पंडित, गवैये, और योगी या नाथ-संप्रदाय के लोग इकट्ठे हो गए थे।)
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