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मारवाड़ के राठोड़ नरेश
राव सीहाजी
इस इतिहास के प्रथम भाग ( राष्ट्रकूटों के इतिहास ) में लिखा जाचुका है कि इतिहास-प्रसिद्ध राठोड़-नरेश जयचन्द्र ( जयच्चन्द्र) के शहाबुद्दीन गोरी के हमले में मारे जाने पर भी कन्नौज के आस-पास का प्रदेश उस ( जयचन्द्र ) के पुत्र हरिश्चन्द्र के अधिकार में ही रहा था । सम्भवतः इसी हरिश्चन्द्र की उपाधि या दूसरा नाम वरदायीसेनं था । परन्तु वि० सं० १२५३ के बाद जब मुसलमानों के आक्रमणों से हरिश्चन्द्र का रहा-सहा राज्य भी जाता रहा, तब वरदायीसेन के पुत्र
१. यह भी सम्भव है कि वरदायीसेन हरिश्चन्द्र का छोटा भाई हो । परन्तु रामपुर और खिमसेपुर के इतिहासों में सीहाजी को प्रहस्त का पौत्र लिखा है । यह प्रहस्त शायद हरिश्चन्द्र का ही बिगड़ा हुआ रूप है । इसीसे हम भी हरिश्चन्द्र और वरदायीसेन को एक ही व्यक्ति अनुमान करते हैं ।
जिस प्रकार जयचंद्र की उपाधि “दलपुंगल” थी उसी प्रकार हरिश्चन्द्र की उपाधि " वरदायीसैन्य " होना भी सम्भव है ।
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