Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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कर्म प्रकृतियों के प्रवबन्धी आविमेव कर्म प्रकृति ध य बंधी अध्र व बंधी ध्र वोदय अधयोदय छ व सत्ता अ० सत्तः सर्व प्राति देश घा. अघातिपरा व अपरा मोघ १५
। २० । २५ |
पुण्य पाप
साना०५
दर्शना
वेद० २
।
मोह० २८०
आयु४
नाम १०३
गोत्र २
अंत०५
मोहनीय कर्म में सम्यक्त्व देशघानी और मिश्र मोहनीय सर्वघाती हैं तथा ये दोनों परावर्तमान और पाप प्रकृतियां हैं, इतना विशेष समझना चाहिये।
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