________________
श्रीमद् देवेन्द्रसूरि विरचित
2945 शतक नामक कर्म ग्रन्थ
[पंचम भाग] [मूल, शब्दार्थ, गाथार्थ, विशेषार्थ,विवेचन एवं टिप्पण पारिभाषिक
शब्दकोष आदि से युक्त
व्याख्याकार
मरुधरकेसरी, प्रवर्तक स्व. मुनि श्री मिश्रीमलजी महाराज
सम्पादक
श्रीचन्द सुरामा 'सरस'
देवकुमार जैन
प्रकाशक श्री मरुधरकेसरी साहित्य प्रकाशन समिति
जोधपुर-ग्यावर